खेती-किसानी में राजकीय नलकूप फिर डालेंगे जान
जिले के खेती-किसानी में जान लाने के लिए राजकीय नलकूपों को फिर से चालू किया जा रहा है। राजकीय नलकूपों को जिदा करने में सरकार अब मुखिया को जिम्मेदारी सौंप रही है। जिला में राजकीय नलकूपों की व्यवस्था को फिर से बहाल करके में लघु सिचाई विभाग चरणबद्ध कार्यक्रम लागू करके अपना काम कर रही है।
शेखपुरा । जिले के खेती-किसानी में जान लाने के लिए राजकीय नलकूपों को फिर से चालू किया जा रहा है। राजकीय नलकूपों को जिदा करने में सरकार अब मुखिया को जिम्मेदारी सौंप रही है। जिला में राजकीय नलकूपों की व्यवस्था को फिर से बहाल करके में लघु सिचाई विभाग चरणबद्ध कार्यक्रम लागू करके अपना काम कर रही है। यहां यह बताना जरूरी है कि खेतों को सिचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए जिला में 177 राजकीय नलकूप हैं। इसमें से 96 नलकूप ़खराब पड़े हैं। राजकीय नलकूपों की देखरेख का जिम्मा संभालने वाले लघु सिचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि जिला में 177 राजकीय नलकूपों में से मात्र 81 चालू हैं। बंद पड़े 96 नलकूपों को चालू करने के लिए चरणबद्ध तरीके से काम शुरू कर दिया गया है। बंद पड़े 96 में से 25 नलकूप पूरी तरह से मृत हो चुके हैं। उनकी जगह पर पुराने नलकूप के आस-पास ही नया नलकूप गाड़ने का काम शुरू किया जा रहा है। लघु सिचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि 45 नलकूप ऐसे हैं,जो विद्युत एवं तकनीकी दोष से बंद पड़े हैं। इनको ठीक करने की जिम्मेदारी पंचायतों के मुखियों को दिया गया है। इसके लिए मुखियों को प्रति नलकूप तीन लाख रूपया दिया गया है। कार्यपालक अभियंता ने बताया कि राजकीय नलकूपों के संचालन तथा सिचाई कर वसूलने का जिम्मा भी सरकार ने अब मुखियों को सौंप दिया है। सूखी नदियों-नहरों के तटबंधों की सुरक्षा में लगा है विभाग जुलाई में भी जिले की नदियों एवं नहरों में पानी नहीं आया है। मानसून की लेट-लतीफी की वजह से जिला की नदियों तथा नहरों का यह हाल है। इधर एक तरफ जहां नदियों-नहरों में पानी का बड़ा अभाव है वहीं सिचाई विभाग उनके तटबंधों की सुरक्षा में अपना पैसा और पसीना खर्च कर रहा है। इस बाबत सिचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि शेखपुरा जिला में 245.84 किमी नहरें हैं तथा जिला में 87 आहर हैं। जिला में नदियों की लंबाई के बारे में विभाग के पास कोई जानकारी नहीं है। कार्यपालक अभियंता ने बताया कि जिला की सारी नदियां तथा नहर मानसून के पानी पर आश्रित है। इस साल मानसून की देरी और धीमी ऱफ्तार की वजह से अभी तक कहीं पानी नहीं आया है। इसके पहले विभाग सभी नहरों,आहरों के तटबंधों को सुरक्षित किया जा रहा है।