गेहूं की फसल को है बारिश की बूंद का इंतजार
बदलते जमाने के साथ प्रकृति ने भी मानो अपनी चाल बदल दी है। किसानों की उम्मीदें गेहूं की फसल के रूप में खेतों में बिखरी पड़ी है।
शिवहर। बदलते जमाने के साथ प्रकृति ने भी मानो अपनी चाल बदल दी है। किसानों की उम्मीदें गेहूं की फसल के रूप में खेतों में बिखरी पड़ी है। जिसकी ¨सचाई के लिए बारिश के पानी की सख्त जरूरत है, ताकि उसका संपूर्ण पोषण हो सके। लेकिन मौसम की बेरुखी से जिले के किसान मायूस हैं। उन्हें यह ¨चता सता रही है कि न मालूम रबी फसल में लगाई गई पूंजी लौट भी पाएगी या नहीं? क्योंकि बीते करीब के मौसम में भी प्रकृति ने साथ नहीं दिया था। परिणामस्वरूप धान की फसल अनावृष्टि का शिकार हो गई। एक कहावत है कि दूध का जला छाछ को फूंककर पीता है। उसी तरह जिले के किसान धान के बाद अब गेहूं की फसल गंवाने को राजी नहीं है। इसलिए गेहूं की पैदावार हर हाल में अच्छी हो जिससे धान की भरपाई की जा सके इसके लिए हरसंभव प्रयास करने में लगे हैं। आसमान की आस छोड़कर किसान अपने बूते पंपसेट से गेहूं की ¨सचाई करने में जुट गए हैं। जिले में सरकारी नलकूप की हालत सरकारी जैसी ही है। उससे ¨सचाई की उम्मीद करना मूर्खता कहीं जाएगी। इसके साथ ही किसानों को उर्वरक के लिए भी दौर लगानी पड़ रही है। उर्वरक विक्रेताओं के घर अल्लशुबह ही किसान धमक जा रहे हैं कि कहीं ऐसा न हो कि बाद में मिले ही नहीं। दूसरी समस्या मौसम को लेकर भी है। गेंहू के लिए ठंड का मौसम माकूल माना जाता है किन्तु अभी सुबह की धुंध एवं दोपहर की धूप से रबी फसलों का बेहतर विकास नहीं हो रहा है। इसे लेकर भी किसानों के माथे पर ¨चता की लकीरें हैं। बावजूद मेहनतकश किसान आशान्वित हैं कि इस बार अच्छी फसल होगी। वर्जन: जिले में गेहूं आच्छादन के लिए 16 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित था जिसे पूरा कर लिया गया है। वहीं यूरिया सहित अन्य उर्वरक भी प्रर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। विष्णुदेव कुमार रंजन
जिला कृषि पदाधिकारी
शिवहर