होली के दिन नहाने के दौरान दो युवकों की डूबने से मौत
कौन जानता था होली का रंग छुड़ाने गए युवकों की लाश ही घर लौट के आएगी। एक ओर पूरे दिन होली का शोर रहा वहीं शाम को जिले के दो परिवारों में मातम छा गया।
शिवहर । कौन जानता था होली का रंग छुड़ाने गए युवकों की लाश ही घर लौट के आएगी। एक ओर पूरे दिन होली का शोर रहा वहीं शाम को जिले के दो परिवारों में मातम छा गया। हंसने- गाने की जगह रुदन की आवाजें आने लगी। पहली घटना तरियानी छपरा थाना क्षेत्र के तरियानी छपरा गांव में घटी। जहां वार्ड आठ निवासी निरंजन साह के पुत्र गोविद कुमार (14) की बागमती नदी में डूबने से मौत हो गई। बताया गया कि होली खेलने के बाद अपने हमजोलियों के साथ बागमती नदी के माड़र घाट पर नहाने गया। जहां गहरे पानी में जाने से डूबने लगा। साथियों के शोर करने पर आसपास के लोग पहुंचे लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। लोगों ने निष्प्राण गोविद को किसी तरह बाहर निकाला। स्थानीय थाना तरियानी छपरा को घटना की सूचना दी गई। लोग घंटों थाना पुलिस के आने का इंतजार करते रहे। उधर पुलिस सीमा को लेकर मंथन में लगी रही। तरियानी छपरा पुलिस ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि घटना स्थल मेरे सीमा क्षेत्र में नहीं है। थक हारकर पीड़ित परिजनों ने सीमाई थाना बेलसंड को फोन किया। उसने भी पहुंचना मुनासिब नहीं समझा। इधर शव के पास रोते बिलखते पुलिस के आने का इंतजार करते रहे। जब कोई नहीं आया तो अंत में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से पीड़ित एवं ग्रामीण शव लेकर बेलसंड थाना पहु़ंचे। जहां से किसी तरह अग्रेतर कार्रवाई पूरी कर शव पोस्टमार्टम में सीतामढ़ी भेजा गया। पुलिस के इस गैरजिम्मेदाराना सलूक से स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश देखा गया। बता दें कि मृतक गोविद के पिता निरंजन साह दिल्ली किसी कंपनी में काम करते हैं जिन्हें यह दुखद समाचार दे दिया गया है वहीं उनके आने का इंतजार किया जा रहा है।
इसी तरह की दूसरी घटना श्यामपुर भटहां थाना क्षेत्र के लालगढ़ में घटी। यहां भी एक युवक की मौत गांव के पोखर में नहाने के दौरान हो गई। जिसकी पहचान सदालत राम के पुत्र सोनू कुमार 19 वर्ष के रुप में की गई। सूचना पर पहु़चे श्यामपुर भटहां थानाध्यक्ष शैफ अहमद खां ने घटना का जायजा लेने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए सीतामढ़ी भेजा। आज सुबह जब युवक का शव गांव पहुंचा तो हलकान मच गया। जवान पुत्र की मौत से न सिर्फ सदालत राम, बल्कि ग्रामीणों की भी आंखें नम हैं। इधर परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।