तीजव्रतियों ने मांगा अचल सुहाग
बुधवार का दिन जिले में हरितालिका( तीज) एवं गणेश चतुर्थी के संगम के रुप में मनाया गया। सुबह से शाम और फिर पूरी रात आस्था चरम पर दिखा।
शिवहर। बुधवार का दिन जिले में हरितालिका( तीज) एवं गणेश चतुर्थी के संगम के रुप में मनाया गया। सुबह से शाम और फिर पूरी रात आस्था चरम पर दिखा। एक सप्ताह पूर्व से चल रही तीज की तैयारी आज मंजिल को पहुंची जब शहर से लेकर गांव तक सुहागिनों ने पूरी निष्ठा के साथ भगवान सदाशिव एवं मां पार्वती का पूजन किया। वहीं इस दौरान ईश्वर से सुहागिनों ने अचल सुहाग की मन्नत मांगी। वहीं संपूर्ण परिवार के सुखमय जीवन की कामना की। इस दौरान मंदिरों में भी भीड़ दिखी। आज के दिन जिले के ऐतिहासिक बाबा भुवनेश्वर नाथ महादेव मंदिर सहित अन्य शिवालयों में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दिखी। तो दूसरी ओर गांव की ठाकुरबाड़ियों एवं अन्य ग्राम्य देवताओं के मंदिरों में भी पूजा अर्चना की गई। इस तरह तीज के अवसर पर पूरे दिन पूजा अर्चना का क्रम चला। वहीं आज सुहागिनों ने अपने सुहाग कि सलामती की आस लिए सोलहों श्रृंगार किए एवं एक दूसरे की ¨सदूर से मांग भरी। हरितालिका व्रत की बाबत प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित कामेश्वर झा बताते हैं यह पर्व सर्वप्रथम सती ने भगवान शंकर को पुन: वर के रुप में प्राप्ति के लिए किया था। जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने सती की मनोकामना पूर्ण की। तभी से यह पर्व मनाने की परंपरा है। इस पर्व के करने से दांपत्य जीवन सुखमय होता है वहीं परिवार में सुख शांति एवं ऐश्वर्य का वातावरण निर्मित होता है। तीज पर्व को लेकर महिलाओं ने रात्रि जागरण किया। पूरी रात जगने के लिए भक्तिपरक गीत, शिव की नचारी आदि का गायन भी हुआ। - चौथी के चांद का किया दर्शन बुधवार की शाम सनातन धर्मावलंवियों द्वारा गणेश चतुर्थी का व्रत पूरी निष्ठा के साथ मनाया गया। गोधूलि वेला में चंद्रमा को नवान्न एवं मिष्ठान्न सहित फलादि का अर्घ्य दिया गया। इस दौरान आंगन में छत पर पूरी पवित्रता के साथ शीतलता के देव चंद्रमा की पूजा अर्चना इस भाव से की गई कि भगवान चंद्रदेव जीवन में शीतलता औल शांति प्रदान करें। वहीं श्रद्धालुओं ने आज के पावन चौथी के चांद का पूरी श्रद्धा के साथ दर्शन एवं नमन किया। पर
व को लेकर बच्चों एवं महिलाओं में खासा उत्साह देखने को मिला।