श्यामपुर वासियों को सात दशकों से पक्की सड़क का इंतजार
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से आज तक गांवों के विकास की बातें प्रमुखता से होती रही।
शिवहर। (प्रवीण भूषण कुमार) स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से आज तक गांवों के विकास की बातें प्रमुखता से होती रही। लेकिन इस सच्चाई से इंकार नहीं कि गांवों की तस्वीर उतनी नहीं बदली जितना कि दावा किया जाता रहा है। आज भी तमाम योजनाएं गांवों को लक्ष्य कर बनाई जा रही हैं लेकिन उसका क्रियान्वयन किस हद तक हुआ इसकी परख आवश्यक है। दैनिक जागरण की टीम गांव की पाती अभियान के तहत शुक्रवार को श्यामपुर गांव पहुंची। जहां ब्रह्म स्थान के चबूतरे पर नियमानुकूल चौपाल सजी। ग्रामीणों ने बताया कि आजादी के बहत्तर वर्षों बाद भी हम लोगों ने यहां पक्की सड़क नहीं देखी। सरकार तो झूठ-मूठ के सड़कों का जाल बिछाने का दम भरती है। एनएच 104 से महज एक किलोमीटर पर स्थित श्यामपुर को जाने वाली सड़क प्रधानमंत्री सड़क योजना में चयनित होने के बावजूद विगत छह वर्षों में नहीं बन सकी है।
वहीं हाल हर घर नल का जल योजना की है लाखों की लागत से बना जल मीनार भी चार वर्षों से महज शोभा की वस्तु बनी है। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए भी हमलोग उपेक्षा के शिकार हैं। गांव में मिडिल स्कूल को हाई स्कूल बनाकर वाहवाही ले ली गई कितु शिक्षक के अभाव में पढ़ाई महज खानापूर्ति है। स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तो श्यामपुर के लोग भगवान भरोसे हैं। आसपास कोई स्वास्थ्य उपकेंद्र नहीं। प्रखंड मुख्यालय में प्रसव की सुविधा नहीं ऐसे में जिला मुख्यालय या फिर मुजफ्फरपुर या मोतिहारी जाने की विवशता है जहां परिजनों का आर्थिक दोहन तो होता ही है। दूसरे जच्चा एवं बच्चा की जान भी जाते देखा गया है। चौपाल में शामिल कृष्णनंदन दुबे, उपेंद्र दुबे, रामबाबू सिंह, लालबाबू महतो विकास कुमार , मनोज सिंह, कृष्णनंदन दास, हरेंद्र दुबे, शिवचंद्र दूबे एवं सूखल राम ने कहा कि यहां तो समस्याओं का अंबार सा है। जब बुनियादी सुविधाएं ही मयस्सर नहीं है तो विकास की बात बेमानी है। ग्रामीणों की प्रतिक्रियाएं: सेवानिवृत्त शिक्षक कपिलदेव सिंह कहते हैं कि जब तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सुविधा नहीं होगी सारे विकास अधूरे साबित होंगे। सरकार उच्च शिक्षा सुलभ कराने की बात करती है लेकिन छात्र के अनुपात में शिक्षकों की व्यवस्था नहीं होना दुर्भाग्य है। शैल सिंह समाजसेवी कहते हैं कि सरकार की बात निश्चय योजना श्यामपुर गांव में पूरी तरह पंगु है। पानी टंकी देखकर यहां के लोगों को प्रयास बुझानी होती है। बार बार आवेदन के बाद भी एक बूंद शुद्ध पेयजलापूर्ति नहीं हो सकी है। वहीं जागरूक किया जाता है कि नल का शुद्ध जल ही पीने के काम में लाएं। सामाजिक कार्यकर्ता लालबचन सिंह कहते हैं कि उम्र गुजर गई लेकिन गांव की सड़क पक्की होते नहीं देख सका। वहीं आसपास के गांवों की गलियों तक का पक्कीकरण किया गया है। न जाने इस गांव की उपेक्षा की वजह क्या है। पंचायत समिति सदस्य इंदू देवी का दावा है कि वर्तमान के पंचायती राज में गांव की कई छोटी मोटी सड़कें बनाई गई हैं। कितु मुख्य पथ का निर्माण पंचायत से संभव नहीं दिखता। पंचायत सरकार विभाग को हमेशा इस समस्या से अवगत कराती है। रामश्रेष्ठ दास परू्व मुखिया ने स्वास्थ्य सुविधाओं की चिता जाहिर की। कहा कि बीमार लोग इलाज के लिए पंद्रह किलोमीटर या फिर मुजफ्फरपुर जाने को मजबूर होते हैं। इस दौरान असामयिक मौत की घटनाएं होती रहती हैं। चिकित्सा सुविधा के साथ स्वास्थ्य उपकेंद्र का होना बहुत जरूरी है। रामसागर साह को बिजली की लुकाछिपी एवं जर्जर तार एवं पोल को लेकर नाराजगी है। कहा कि आज भी यहां बिजली की लुकाछिपी जारी है जबकि बीस घंटा बिजली आपूर्ति का ढोल पीटा जाता है। दूसरे पुराने जर्जर तार एवं पोल दुर्घटना को निमंत्रण दे रहे हैं इसका बदलना बेहद जरूरी है अन्यथा कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है।