रहमतों का महीना है, माहे रमजान
रमजान पाक की दूसरे जुम्मे की नमाज आज बड़ी शिद्दत से अता की गई।
शिवहर। रमजान पाक की दूसरे जुम्मे की नमाज आज बड़ी शिद्दत से अता की गई। अन्य महीनों से अलहदा रमजान के महीने में पड़नेवाले जुम्मे की नमाज का कई गुणा अधिक महत्व है। माहे रमजान की बाबत मस्जिद के इमाम मौलाना मो. मोबारक साहब बताते हैं कि यह महीना अल्लाह- त-आला की रहमखारी का है। इसकी बहुत बड़ी फजीलत एवं बरकत है। इस महीने में शैतानों को कैद कर जहन्नम को बंद कर दिया जाता है जबकि जहन्नम के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। रोजा के मायने बताते हुए कहा कि यह तो जहन्नम से बचने की ढ़ाल माफिक है। रोजा इंसान को नेकी करने और बुराई से बचने की एक ट्रे¨नग है। रोजा का मतलब सिर्फ भूखा रहना भर नहीं है। इसका मकसद नफ्स से जेहाद करना एवं इस पर काबू पाना है। रोजा के दौरान अश्लील एवं गलत कामों को करना तो दूर उसका ख्याल तक लाना गुनाह है। मो. मोबारक कहते हैं कि रमजान में फितरा, नमाज, कुरआन की तिलावत का काफी महत्व है। जकात इस्लाम का वो फर्ज है जिसके अदा करने से समाज में आर्थिक असमानता दूर होती है।