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त्वरित, सहज एवं सरल तरीके से न्याय दिलाना ही मुख्य उद्देश्य

पुरनहिया प्रखंड कार्यालय स्थित मनरेगा भवन में चलंत लोक अदालत सह विधिक जागरुकता शिविर का आयोजन मंगलवार को किया गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 12:14 AM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 12:14 AM (IST)
त्वरित, सहज एवं सरल तरीके से न्याय दिलाना ही मुख्य उद्देश्य
त्वरित, सहज एवं सरल तरीके से न्याय दिलाना ही मुख्य उद्देश्य

शिवहर। पुरनहिया प्रखंड कार्यालय स्थित मनरेगा भवन में चलंत लोक अदालत सह विधिक जागरुकता शिविर का आयोजन मंगलवार को किया गया। इस दौरान चयनित न्यायिक सदस्य प्रकाश कुमार शरण की अध्यक्षता में कुल 23 मामलों का निष्पादन आपसी सहमति के आधार पर किया गया। जिसमें अंचल कार्यालय से संबंधित 20 एवं भारत संचार निगम लिमिटेड के 3 मामले शामिल हैं। इस दौरान जानकारी दी गई कि उक्त अदालत में मामलों का निपटारा आपसी समझौते के आधार पर किया जाता है। इसमें एक वर्ष की सजा वाले मामलों का भी विचारण किया जाता है। इसमें एक माह पूर्व लोक अदालत के आयोजन की सूचना दी जाती है। बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में आयोजित लोक अदालत में इसके उद्देश्य पर चर्चा की गई। बताया गया कि त्वरित, सहज एवं सरल तरीके से न्याय दिलाना ही मुख्य उद्देश्य है। बदलते परिवेश में बुजुर्गों की उपेक्षा को ¨चतनीय बताया गया। कहा कि सम्मान के हकदार बुजुर्गों को सामाजिक, मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक चुनौतियों से जूझना पड़ता है। जो कि विधि विरुद्ध है। बुजुर्गों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए ऊपर से नीचे तक तंत्र को मजबूत बनाया जा रहा है। जिसमें सरकार प्रायोजित योजनाओं के लाभ से आच्छादित करने एवं अधिकार एवं क‌र्त्तव्य के प्रति जागरुकता अभियान चलाना शामिल है। प्रस्तुत लोक अदालत में सरपंचों ने पुलिस एवं अपने अधिकार से संबद्ध मामले भी रखे को जिसका सम्यक समाधान करने का प्रयास किया गया। वहीं इस दौरान माता- पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों के भरण- पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 के कानूनी प्रावधानों की विस्तृत जानकारी दी गई। इसके तहत लाचार एवं वरिष्ठ नागरिक अधिकृत संस्था या व्यक्ति के माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। निजी आय के स्त्रोत कम होने पर अपने बच्चों के आय पर दावा सहित अन्य आवेदन अनुमंडल कार्यालय में जमा कर सकते है। कहा कि परिजनों द्वारा वरिष्ठ नागरिक का परित्याग करना दंडनीय अपराध है। इसके लिए 5 हजार रुपये अर्थदंड एवं 3 माह तक की सजा हो सकती है। इसके लिए जिला स्तर पर समिति भी गठित की गई है। सरकारी स्तर पर वृद्धाश्रम की व्यवस्था की गई है।यह भी बताया गया कि विवाहित बेटी से भी भरण-पोषण के लिए दावा किया जा सकता है। मौके पर सीओ सुधीर कुमार, अधिवक्ता रणवीर शरण, अनिल कुमार ¨सहा, अवर निरीक्षक सुरंजना प्रसाद ¨सह, रौशन कुमार, मनरेगा पीओ अनंत कुमार शर्मा, पीटीए मुकेश कुमार, पूर्व सरपंच रामविनय कुंवर, चंदेश्वर ¨सह, महेन्द्र राम, बीएसएनएल के मो. अब्बास, रोजगार सेवक सहित अन्य मौजूद थे।

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