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स्थापना के 28 वर्षों में जिले ने बनाया विकास का कीर्तिमान

शिवहर। कोरोना की बंदिशों और पंचायत चुनाव को लेकर जारी आदर्श आचार संहिता के बीच बुधवार को शिवहर जिले का 28 वां स्थापना दिवस समारोह सादगी के साथ मनाया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Oct 2021 12:24 AM (IST)Updated: Wed, 06 Oct 2021 12:24 AM (IST)
स्थापना के 28 वर्षों में जिले ने बनाया विकास का कीर्तिमान
स्थापना के 28 वर्षों में जिले ने बनाया विकास का कीर्तिमान

शिवहर। कोरोना की बंदिशों और पंचायत चुनाव को लेकर जारी आदर्श आचार संहिता के बीच बुधवार को शिवहर जिले का 28 वां स्थापना दिवस समारोह सादगी के साथ मनाया जाएगा। पिछले साल की तरह इस साल भी स्थापना दिवस की रस्म अदा की जाएगी। बताते चलें कि, छह अक्टूबर 1994 को पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुनाथ झा ने अपनी मजबूत पहल की बदौलत पांच प्रखंड और 53 पंचायत वाले शिवहर अनुमंडल को जिले का दर्जा दिलाया था। इसके साथ ही बिहार के नक्शे पर सबसे छोटे जिले के रूप में आया था। पांच साल के भीतर जिले ने विकास का कीर्तिमान बनाया है। विकास को कई आयाम मिले हैं। लेकिन अब भी कई काम अधूरे है। 28 साल के सफर में शिवहर के दामन पर लगा नक्सल प्रभावित इलाका का दाग धुल गया है, लेकिन अशिक्षा का दाग अब भी बरकरार है। शिक्षा और साक्षरता का फीसद अब भी डरा रहा है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में शिवहर ने बड़ी सफलता हासिल की है। सदर अस्पताल की स्थापना, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर समेत उप स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना, एनआरसी, एसएनसीयू, डायलिसिस, ऑक्सीजन बेड, ओटी, समेत उच्चस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हुई है। ब्लड बैंक, आरटीपीसीआर टेस्ट, आक्सीजन प्लांट, पीकू वार्ड आदि की स्थापना के लिए काम चल रहा है। शिक्षा और तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में भी बड़ी कामयाबी मिली है। आइटीआई, महिला आइटीआई, पालिटेक्निक कालेज, इंजीनियरिग कालेज, एएनएम स्कूल, डिग्री कालेज की स्थापना, पंचायत स्तर पर हाईस्कूल की स्थापना बड़ी उपलब्धि रही है। पावर सब स्टेशन, पुल-पुलिया, सड़क के क्षेत्र में भी काम हुआ है। अपराध पर लगाम लगा है। घरेलू हिसा और नारी उत्पीड़न की घटनाओं में कमी आई है। शराबबंदी कानून का भी पालन हो रहा है। कृषि के क्षेत्र में भी बेहतर काम हुए है। कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना, गांवों तक मिट्टी जांच की सुविधा, किसानों को जैविक व वैज्ञानिक खेती के लिए प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है। सहकारिता के माध्यम से धान-गेहूं की खरीदारी और सब्जी को प्रदेश स्तर का बाजार उपलब्ध कराया जा रहा है। हालांकि, आजादी 74 साल बाद भी शिवहर रेलमार्ग से अनजान है। जिले का दर्जा मिलने के 28 साल बाद भी इस दिशा में पहल नहीं हो सकी है। शिवहर को मोतिहारी से जोड़ने के लिए अदौरी घाट में पुल का निर्माण नहीं हो पाया है। जबकि, जिले के विस्तार का प्रस्ताव फाइलों में कैद होकर रह गया है। सीतामढ़ी व मोतिहारी के कुछ हिस्सों को काटकर शिवहर जिले का विस्तार करना था। आबादी कम होने के कारण इस जिले को विकास योजनाओं से वंचित होना पड़ रहा है। तत्कालीन डीएम राज कुमार ने जिले की विकास का प्रस्ताव सरकार को भेजा था। इसमें तरियानी प्रखंड को दो भागों में बांटने का भी प्रस्ताव था। बाढ़ की समस्या का स्थाई समाधान भी नहीं हो सका है। जिले में उद्योग का अभाव है। बेरोजगारी के चलते मजदूरों का पलायन जारी है। जिले में अधिकारियों के आधे से अधिक पद खाली है। बहरहाल, स्थापना के 28 वर्ष में इस जिले ने जो कुछ भी पाया हैं वह बड़ी उपलब्धि है।

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