Sheohar News: मनुषमारा नदी का पानी सूख जाने से 40 हजार हेक्टेयर की सिंचाई प्रभावित
Sheohar News नेपाल से निकलती है नदी। कहीं नाला तो कहीं सूखी धारा के रूप में ही इसका अस्तित्व। दशकों बाद मनुषमारा में जलप्रवाह नहीं। इसकी वजह से किसानों को परेशानी हो रही है। पिछले साल मनुषमारा का पानी धान की खेती के लिए सिंचाई का बड़ा आधार बना था।
शिवहर, जासं। नेपाल से निकलकर शिवहर-सीतामढ़ी होते हुए मुजफ्फरपुर की सीमा पर बागमती में मिलने वाली मनुषमारा नदी इस साल सूखी रह गई। दो साल से सीतामढ़ी की रीगा चीनी मिल बंद रहने से नदी को नया जीवन तो मिला, लेकिन अपेक्षा के अनुरूप पानी नहीं आने से किसानों को धान की फसल में लाभ नहीं मिल पा रहा है। पिछले साल मनुषमारा का पानी धान की खेती के लिए सिंचाई का बड़ा आधार बना था। किसानों ने नाला निकालकर सिंचाई की थी। इसके चलते अच्छी पैदावार हुई थी, लेकिन इस बार कम वर्षा के कारण लबालब भी नहीं हो पाई। मनुषमारा कभी बागमती नदी की धारा थी। बागमती ने एक नई धारा बना ली, लेकिन पुरानी धारा अपनी जगह पर बहती रही। नेपाल से निकलकर शिवहर प्रखंड के पिपराही से सीतामढ़ी के परसौनी, रीगा, बेलसंड व रून्नीसैदपुर होते हुए सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर की सीमा पर यह नदी बागमती में मिल जाती है। शिवहर-सीतामढ़ी में लगभग 40 किमी में इसका बहाव है। इससे 40 हजार हेक्टेयर खेतों तक पानी पहुंचता है। इससे शिवहर की आठ पंचायतों में सिंचाई होती है।
कभी थी इलाके की हरियाली की आधार
मनुषमारा नदी इलाके की हरियाली की आधार थी। इसे बागमती नदी के नाम से ही जाना जाता था। वर्ष 1954 के भूकंप के दौरान नदी धारा दो भागों में बंट गई। एक बागमती और दूसरी को पुरानी धार का नाम मिला। पुरानी के तेज प्रवाह में लोग डूबकर मरने लगे। लिहाजा इसका नाम मनुषमारा नदी पड़ गया। मनुषमारा का पानी इलाके की हरियाली और समृद्धि का आधार थी। बाद में इसमें चीनी मिल का अपशिष्ट बहाया जाने लगा। इसके चलते यह नदी प्रदूषित हो गई। वर्ष 2020 में कोरोना काल के दौरान इसका पानी स्वच्छ हुआ था। तब किसानों ने इसके पानी का सिंचाई के रूप में उपयोग भी किया था। इस बार भी पानी साफ है। लेकिन, नदी लगभग सूख सी गई है। कही नाला तो कही सूखी दिखती है।
दशकों बाद इस तरह की स्थिति
वयोवृद्ध किसान अजब लाल चौधरी व मोहनपुर के किसान अजय कुमार बताते हैं कि इस बार बागमती की तरह मनुषमारा नदी को भी नजर लग गई है। वर्षा के अभाव में इलाका सूखे की चपेट में है। दीनानाथ ठाकुर बताते हैं कि दशकों बाद यह स्थिति है कि मनुषमारा में जलप्रवाह नहीं है। इसका असर सिंचाई और धान की खेती पर पड़ता दिख रहा है। पिछले साल मनुषमारा नदी का पानी धान की खेती के लिए सिंचाई का बड़ा आधार बना था। किसानों ने नहर निकालकर मनुष्यमारा नदी के पानी से धान की सिंचाई की थी। इसके चलते पिछले साल धान की बंपर उपज भी हुई थी। लेकिन, इस साल बागमती की तरह मनुषमारा नदी भी प्यासी रह गई है। किसान दीनानाथ प्रसाद बताते है कि दशकों बाद यह स्थिति दिख रही है कि नदी में पानी नहीं है। इससे किसान भी सकते में है।