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आठ साल से एप्रोच पथ का इंतजार, लाखों की लागत से बना पुल बेकार

शिवहर को पड़ोसी जिला सीतामढ़ी से जोड़नेवाली मोहनपुर पुल आठ साल से एप्रोच पथ का इंतजार कर रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 01:08 AM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 05:06 AM (IST)
आठ साल से एप्रोच पथ का इंतजार, लाखों की लागत से बना पुल बेकार
आठ साल से एप्रोच पथ का इंतजार, लाखों की लागत से बना पुल बेकार

शिवहर। शिवहर को पड़ोसी जिला सीतामढ़ी से जोड़नेवाली मोहनपुर पुल आठ साल से एप्रोच पथ का इंतजार कर रहा है। शिवहर जिले के पिपराही को सीतामढ़ी जिले के रीगा से जोड़ने वाली सड़क में मोहनपुर गांव में मनुषमारा नदी पर लाखों की लागत से निर्मित पुल अब खुद जर्जर होने लगा है। लेकिन, निर्माण के आठ साल बाद भी एप्रोच पथ का निर्माण नहीं होने से यह पुल लोगों के लिए नकारा साबित हो रहा है। एप्रोच पथ नहीं बनने से यहां अक्सर हादसे होते रहे है। वहीं इस पुल से सफर करने से भी लोग कतराते है। बारिश के दौरान यह सड़क कातिल बन जाती है। रेनकट की वजह से भी हादसे होते है। सबसे विकट स्थिति तब होती है जब पुल पर दोनों ओेर से चारपहिया वाहन आमने-सामने होती है। दशकों की मांग के बाद बिहार राज्य पुल निर्माण निगम ने मोहनपुर में पुल का निर्माण किया था। आठ साल पूर्व निर्माण पूरा हुआ। लेकिन एप्रोच पथ का निर्माण नहीं हो सका। आठ साल में दो विधानसभा और दो लोकसभा चुनाव भी हो गए। वोट मांगने पहुंचे नेताओं ने जनता को शीघ्र निर्माण का आश्वासन भी दिया। लेकिन एप्रोच पथ निर्माण के नाम पर एक छंटाक मिट्टी तक नहीं डाला जा सका।

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ग्रामीणों के रहमोकरम पर पुल पर परिचालन:::: पिपराही-रीगा पथ के मोहनपुर स्थित एप्रोच विहीन पुल से आवागमन की रफ्तार ग्रामीणों की रहमोकरम पर टिकी है। वजह इस अतिमहत्वपूर्ण पथ के प्रति शासन-प्रशासन बेपरवाह है। निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का काम बस जनता को उल्लू बनाना रह गया है। एप्रोच पथ के अभाव में यह पुल उजला हाथी साबित हो रहा था। साल दर साल गुजरा। स्थानीय लोगों ने गुहार लगाई। लेकिन, किसी ने भी सुध नहीं ली। तब से हर माह ग्रामीण जन सहयोग से मिट्टी भर कर पुल का एप्रोच पथ बनाते है। इसी मिट्टी की सड़क का उपयोग एप्रोच पथ के रूप में किया जा रहा है। हालांकि, वाहनों के दबाव के कारण हर दस दिन पर यह एप्रोच पथ ध्वस्त हो जाता है। फिर ग्रामीण मिट्टी भरते रहते है। बरसात में मिट्टी कीचड़ में सन जाती है। तब भी ग्रामीण इसी तरह मिट्टी भर कर सड़क को आवागमन लायक बनाते है।

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पिपराही को रीगा से जोड़ने का एक मात्र वैकल्पिक रूट :::

इलाके में गन्ने की खेती वृहत पैमाने पर होती है। इलाके की गन्ना को रीगा चीनी मिल तक ले जाने के लिए यही एकमात्र वैकल्पिक सड़क है। दूसरे विकल्प के रूप में शंकरपुर बिदी पुल काफी जर्जर है। यहीं वजह है कि पिपराही-रीगा पथ से मोहनपुर, शंकरपुर बिदी, छतौना, कुम्मा, बकटपुर व नारायणपुर के किसान अपने गन्ने की ढुलाई पकड़ी के रास्ते रीगा चीनी मिल तक करते है। ग्रामीण चुल्हाई प्रसाद यादव, उमेश यादव, हेमंत यादव, मनीष झा व मुकेश राम आदि लोग एप्रोच पथ के अभाव में उत्पन्न परेशानियों का रोना रोते है। कहते हैं कि यह पुल हमारे जख्मों को हरा कर देता है।


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