मशरूम की खेती कर बन सकते हैंआत्मनिर्भर
खरीफ एवं रबी की फसल करते हुए मशरूम का उत्पादन कर अच्छी आमदनी प्राप्त की जा सकती है।
शिवहर। खरीफ एवं रबी की फसल करते हुए मशरूम का उत्पादन कर अच्छी आमदनी प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए न ही अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता है और न ही भारी-भरकम पूंजी की। इसे घर के किसी एक कोने में प्रारंभ किया सकता है। सबसे बड़ी बात कि मशरूम उत्पादन के लिए अलग से समय निकालने की भी आवश्यकता नहीं है। यह कहना है कुशहर निवासी प्रगतिशील युवा किसान राजेश कुमार का। बताते हैं कि इन दिनों मशरूम की काफी डिमांड भी है क्योंकि इसमें बड़ी मात्रा में प्रोटीन सहित अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं। कीमत की बात करें तो तीन सौ से पांच सौ रुपये किलो बिकनेवाले मशरूम की इन दिनों बड़े बड़े होटलों में मांग बढ़ी है। राजेश कुमार ने अपने दालान के ही एक कमरे को मशरूम उत्पादन का केंद्र बना दिया है जो जिले में एक नजीर बना है। कहा कि महज पांच सो रुपये से इसका उत्पादन शुरु किया जा सकता है। इसके लिए मशरूम का बीज, प्लास्टिक की थैलीे एवं गेहूं के भूंसे की आवश्यकता पड़ती है। मशरूम उत्पादन वाले कमरे के तापमान का ख्याल रखना जरुरी होता है। बताते हैं कि इसे कच्चा एवं सूखाकर दोनों तरह से उपयोग में लाया जाता है। सूखाकर इसका भंडारण कर दिया जाए तो या काफी दिनों तक उपयोग के लायक बना रहता है। बेरोजगारों को मशरूम उत्पादन से जुड़कर आर्थिक स्वतंत्रता पाने की जरुरत है। वह अपनी काबिलियत से इसे बड़े पैमाने पर कर सकते हैं। जिसके लिए विभाग या फिर सरकार बैंक द्वारा वित्तीय सहायता भी प्रदान कर सकती है। जहां तक बाजार की बात है तो अगर उत्पादन होने लग जाए तो व्यापारी खुद-ब-खुद उत्पादक के घर पहुंच जाते हैं। बता दें कि राजेश कुमार मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में कई पुरस्कार पा चुके हैं वहीं कृषि विज्ञान केंद्रों में इस बाबत किसानों को प्रशिक्षण भी देते हैं।