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शिवहर में ट्रेन की सीटी सुनने का सपना है अधूरा

एक ओर जहां देश में बुलेट ट्रेन लाने की बातें होती है वहीं सूबे बिहार का नन्हा जिला शिवहर अभी रेलमार्ग से भी नहीं जुड़ पाया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 01:12 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 06:43 AM (IST)
शिवहर में ट्रेन की सीटी सुनने का सपना है अधूरा
शिवहर में ट्रेन की सीटी सुनने का सपना है अधूरा

शिवहर। एक ओर जहां देश में बुलेट ट्रेन लाने की बातें होती है वहीं सूबे बिहार का नन्हा जिला शिवहर अभी रेलमार्ग से भी नहीं जुड़ पाया है। बीते तेरह वर्षों से जिलावासियों को ट्रेन की छुक- छुक सुनने का इंतजार है। इस अवधि में स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने हर बार ट्रेन परिचालन के सब्जबाग दिखाए लेकिन आखिर में निराशा ही हाथ लगी है। जब भी चुनाव का मौसम आता है तो रेल विहीन जिला होने की पीड़ा सताने लगती है। तब फिर से आश्वासनों की घूंटी पिलाई जाती है और जनता में फिर से नई उम्मीदों का संचार होता है। लेकिन वहीं ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ होती है। - खर्च हो चुकी है चौबीस करोड़ की राशि बापूधाम मोतिहारी से सीतामढ़ी वाया शिवहर रेल लाइन की प्रस्तावना वित्तीय वर्ष 2006- 07 में लाई गई थी। वहीं 211 करोड़ रुपये अनुमानित लागत पूरक बजट में शामिल किया गया था। लाया गया था। उक्त परियोजना के लिए वर्ष 2017-18 में 100 करोड़ का आवंटन किया गया। जिसमें 31 मार्च 18 तक 24 करोड़ 16 लाख 36 हजार रूपये की राशि व्यय की जा चुकी है। बताते चलें कि रेलमार्ग के लिए सर्वे, मिट्टी जांच सहित हॉल्ट व रेलवे स्टेशन कहां बनेंगे इसे भी चिन्हित कर लिया गया था। फिर तो इलाके के लोगों में अजीब सी खुशी की लहर दौड़ गई। लोग इस परियोजना को विकास का वरदान मानने लगे। सपने बुने जाने लगे कि इससे इलाकाई लोगों के लिए न सिर्फ यातायात सुगम होंगे वरन हजारों लोगों को स्वरोजगार के मौके भी उपलब्ध होंगे। लेकिन यह ख्वाबों का महल तब धराशायी हो गया जब भारतीय रेल मंत्रालय ने 926. 09 करोड़ डिटेल्स एस्टीमेट की जांच के सिलसिले में सक्षम पदाधिकारी ने आरओआर अर्थात आसन्न क्षेत्र में रेलवे मार्ग होने का हवाला देते हुए उक्त परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया। - रेलवे के लिए चला आंदोलन रेल परियोजना पर विराम लगने की खबर से जिलावासी ठगे से रह गए। वहीं यह आक्रोश आंदोलन के रुप में सड़कों पर उतर आया। तब स्थानीय समस्याओं को लेकर आवाज उठाने वाले संघर्षशील युवा अधिकार मंच के आदित्य कुमार एवं मुकुंद प्रकाश मिश्र सहित युवाओं की टीम ने धरना प्रदर्शन, सड़क जाम, विरोध मार्च सहित तमाम तरह के आंदोलन चलाए। इसके अतिरिक्त अन्य स्वयंसेवी संगठन व राजनीतिक दलों ने भी इसकी जमकर मुखालिफत की लेकिन उसका कुछ भी असर नहीं पड़ा और अंतत: शिवहर में रेल महज एक सपना बनकर रह गया। - तीन जिलों का है सीधा जुड़ाव शिवहर में रेल परिचालन की अहमियत की बात करें तो इसमें शिवहर सहित सीतामढ़ी एवं पूर्वी चंपारण जिला का भी हित भी सन्निहित है। रेल परिचालन होने से माल की ढुलाई एवं शिवहर जिला वासियों को ट्रेन पकड़ने के लिए मुजफ्फरपुर या सीतामढ़ी की दौड़ लगानी पड़ती है। वहीं बापूधाम मोतिहारी- शिवहर- सीतामढ़ी के लिए 78 किलोमीटर का रेलखंड तीनों जिलावासियों के लिए रोजगार के क्षेत्र में भी वरदान साबित होने वाला है। कितु सरकार एवं विभाग की उपेक्षा ने लोगों के सपनों पर पानी फेर दिया है। इससे आहत यहां की जनता आसन्न लोकसभा चुनाव में इसे एक मुद्दा के रूप में ले रही है। - सीतामढ़ी से शिवहर को रेल से जुड़ने की संभावना आरटीआई से मिली सूचना के मुताबिक अब नए प्रावधान में सीतामढ़ी से शिवहर रेलमार्ग परियोजना के 28 किलोमीटर भाग का निष्पादन परीक्षाधीन है। अब देखना है कि यह नया सपना अब साकार होता है।

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