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कमरौली पंचायत में नहीं है एक भी नलकूप,भगवान भरोसे होती है खेती

यह सच है कि जिला शिवहर नित नई प्रगति को प्राप्त कर रहा है लेकिन यहां ऐसे भी बहुत से गांव हैं जहां विकास की रौशनी नहीं पहुंची है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 12:25 AM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 12:25 AM (IST)
कमरौली पंचायत में नहीं है एक भी नलकूप,भगवान भरोसे होती है खेती
कमरौली पंचायत में नहीं है एक भी नलकूप,भगवान भरोसे होती है खेती

शिवहर। यह सच है कि जिला शिवहर नित नई प्रगति को प्राप्त कर रहा है लेकिन यहां ऐसे भी बहुत से गांव हैं जहां विकास की रौशनी नहीं पहुंची है। बुनियादी सुविधाओं से महरुम इन गांवों में बहुत कुछ करना अभी बाकी रह गया है। कहीं मुकम्मल सड़कें नहीं हैं तो कहीं विद्यालय नहीं हैं, कहीं बिजली पहुंचने का इंतजार है तो कहीं स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव। इन विसंगतियों की पड़ताल के लिए गांव की पाती अभियान के तहत दैनिक जागरण की टीम पिपराही प्रखंड के कमरौली पंचायत स्थित हरकरवा गांव पहुंची। जहां लगे चौपाल में सभी वर्ग एवं समुदाय के लोगों ने खुलकर अपनी समस्याएं रखीं। बताया गया कि सरकार किसानों के हित का दम तो भरती है लेकिन कमरौली पंचायत में आज तक भी एक नलकूप नहीं है। यह अलग बात है कि यहां करीब 50 वर्षों से बिजली आपूरित है। रोषभरे शब्दों में सवाल किया कि यह किसानों की अनदेखी नहीं तो क्या है? वहीं दूसरी ओर जिला मुख्यालय से हरकरवा गांव की दूरी महज 3 किलोमीटर है। लेकिन यह संपर्क पथ जर्जर और परित्यक्त होने से मजबूरन लोगों को कमरौली होकर 5 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है। ऐसे में खासकर छात्र-छात्राओं एवं आपातकाल में मरीजों को ले जाने में काफी परेशानी होती है। कई मरीज यो देर होने की वजह से मौत के शिकार भी हो चुके हैं। शिक्षा की बाबत बताया कि दो मध्य विद्यालय एवं दो प्राथमिक विद्यालय हैं जहां बच्चे आते भी हैं लेकिन वहां की पढ़ाई एवं मध्यान्न भोजन की हकीकत सबको मालूम है बताने की जरुरत नहीं है। सच्चाई यही है कि यहां पढ़ाने और खिलाने की रस्म अदायगी पर होती है। वहीं सबसे बुरा हाल पेय जलापूर्ति का है। करीब 4 वर्ष पूर्व से जलमीनार बनकर तैयार है, लेकिन दुर्भाग्य कि आज तक उसमें से एक बूंद पानी नहीं निकला। हाल के दिनों में नल जल योजना के तहत भी पाइप लाइनें बिछाई गई हैं, कहीं कहीं टोटियां भी दिखती हैं लेकिन उसमें से भी पानी गिरता नहीं दिखा। जबकि गांवों में दूषित जल पीने से तरह-तरह की बीमारियां फैल रही हैं। गौरतलब हो कि इसी पंचायत के कमरौली गांव ने आधा दर्जन आइएएस अधिकारियों सहित दर्जनों उच्चाधिकारियों को जन्म दिया है। बावजूद इसके इस पंचायत का पिछड़ा होना सोचने पर विवश करता है। कमरौली पंचायत में कुल 8 वार्ड हैं जिसमें 4 ओडीएफ हो चुके हैं। बाकी चार आज भी खुले में शौच से मुक्त नहीं हो पाए हैं हालांकि इसके लिए शौचालय निर्माण की प्रक्रिया जारी है। पंचायतवासियों के आय का मुख्य स्त्रोत कृषि है। फिर भी इतना जरूर है कि यहां साक्षरता का दर करीब 90 फीसद बताया जाता है। 4 हजार 500 मतदाता वाले इस पंचायत में एक अतिरिक्त उपस्वास्थ्य केंद्र बनाया गया है, जहां पंचायत वासियों को स्वास्थ्य संबंधी सुविधा मिल जाती है। - क्या कहते हैं मुखिया गांव के मुखिया अख्तर अहमद बताते हैं कि सरकार की योजनाओं का पूरी पारदर्शिता के साथ शत-प्रतिशत क्रियान्वयन किया गया है मनरेगा के तहत सड़क निर्माण, मिटटी भराई सहित अन्य कार्य पूर्ण किए गए हैं। वही पीएम आवास योजना के तहत 95 फीसद एवं अन्य मसलन वृद्धा पेंशन सहित अन्य लाभ योग्य लाभुकों का णयन कर शत- प्रतिशत लाभ पहुंचाया गया है। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा देय सभी योजनाओं को धरातल पर उतारने की की कोशिशें जारी हैं। हरकरवा गांव के रामबली साह, मो. नसरूल्लाह, मो. जिबराईल, रामशंकर साह, शाबिर अंसारी, पंकज कुमार, रवि ठाकुर, राजनंदन साह, संतोष कुमार सहनी, उपमुखिया उमेश कुमार यादव, वार्ड सदस्य राजीव पटेल एवं फरियाद मंसूरी ने कहा कि गांव की सबसे बड़ी समस्या जिला मुख्यालय से सीधा संपर्क नहीं होना है। इसकी वजह से स्थानीय लोगों को काफी परेशानी होती है, वहीं किसानों के लिए नलकूप नहीं होने से फसलों की ¨सचाई के लिए भगवान भरोसे रहना पड़ता है। वहीं बताया कि अब उम्मीद इस पर टिकी है कि हरकरवा में डिग्री कॉलेज की स्थापना होनी है, संभव है कि रोड का सपना कॉलेज खुलने के बाद ही पूरी हो लेकिन दूसरा पहलू यह भी है कि इसे बनने में वर्षों का वक्त लगेगा।

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