आए दिन हो रही झमाझम बारिश से किसान हताश
शिवहर। न जाने अब आगे क्या होने वाला है। कैसे चलेगा परिवार कहां से लाएंगे मवेशियों का चारा। अगली फसल के लिए कैसे जुटाएंगे पूंजी।
शिवहर। न जाने अब आगे क्या होने वाला है। कैसे चलेगा परिवार कहां से लाएंगे मवेशियों का चारा। अगली फसल के लिए कैसे जुटाएंगे पूंजी। संभावित महंगाई में कैसे चलेगा घर परिवार। इस तरह के सवाल हर किसानों के सामने उपस्थित हैं। मंगलवार की सुबह हुई करीब डेढ़ घंटे की बारिश ने किसानों की हताशा और बढ़ा दी है। वैसे किसान जिनकी गेहूं की फसल खेतों में रह गई हैं, उनकी चिता और भी ज्यादा है। कटनी कर रखे गेंहू सड़ रहे तो खड़ी फसल भी लगातार बारिश झेलने में असमर्थ जमीन पर गिर गए हैं जिसे काटने को मजदूर तैयार नहीं हो रहे। हालांकि नाउम्मीद किसान अभी भी उम्मीद में हैं कि मौसम साफ हो तेज धूप निकले ताकि गेहूं को खलिहान ला सकें। वहीं दूसरी चिता मवेशियों के चारा को लेकर भी है। बारिश की भेंट चढ़ जाने से इस वर्ष भूसा की किल्लत तय मानी जा रही।
मौजूदा कोरोना महामारी एवं लॉकडाउन से जूझते किसानों को प्रकृति की इस बेरुखी से आने वाले समय में और परेशानी का अंदेशा है। महामारी के बाद संभावित महंगाई को लेकर अलग चिता सता रही।
मंगलवार की बारिश की बाबत कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एसके राय ने बताया कि डेढ़ से मिलीलीटर बारिश हुई है। शेष गेहूं की फसल को नुकसान हुआ है। लेकिन, सब्जी की फसलों के अलावा आम एवं लीची की फसल को लाभ मिलेगा। बारिश का एक फायदा यह भी होगा कि आम व लीची के फल जो तैयार होने से पूर्व फट जाते हैं इसमें कमी आएगी। वहीं जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि बारिश से कोई ज्यादा नुकसान नहीं होगा।
इधर झमाझम हुई बारिश से गांव से लेकर शहर तक कीचड़ देखे जा रहे। जगह-जगह जल-जमाव से राहगीरों को परेशानी हो रही। वहीं चिर परिचित शहर के जगदीश नंदन सिंह पथ पर फिर से वही हालात हैं। प्रोजेक्ट गर्ल्स हाईस्कूल से लेकर समाहरणालय गेट तक यत्र-तत्र जल जमाव हो गया है। वहीं नपं के वार्ड 12 स्थित महादलित बस्ती में जल जमाव से नारकीय स्थिति उत्पन्न हो गई है। गंदे पानी से होकर आते-जाते लोगों में संक्रमणजनित रोग फैलने की आशंका है।