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हादसे से उत्पन्न जख्म का हिसाब-किताब करने को मतदाता तैयार

शिवहर शहर को जोड़ने वाला दशकों पुराना स्क्रूपाइल पुल कभी भी ध्वस्त होकर न केवल बड़े हादसे का कारण बन सकता है बल्कि इस पुल के ध्वस्त होने के बाद आसपास के दर्जनों गांवों की हजारों की आबादी का शिवहर शहर और जिला मुख्यालय से संपर्क भंग हो सकता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Oct 2020 07:06 PM (IST)Updated: Mon, 12 Oct 2020 07:06 PM (IST)
हादसे से उत्पन्न जख्म का हिसाब-किताब करने को मतदाता तैयार
हादसे से उत्पन्न जख्म का हिसाब-किताब करने को मतदाता तैयार

शिवहर । शिवहर शहर को जोड़ने वाला दशकों पुराना स्क्रूपाइल पुल कभी भी ध्वस्त होकर न केवल बड़े हादसे का कारण बन सकता है, बल्कि इस पुल के ध्वस्त होने के बाद आसपास के दर्जनों गांवों की हजारों की आबादी का शिवहर शहर और जिला मुख्यालय से संपर्क भंग हो सकता है। समय-समय पर यहां छोटे-छोटे हादसे भी हुए हैं और कई बार जर्जरता की वजह से आवागमन भी बाधित हुआ है। बावजूद इसके शासन-प्रशासन और निर्वाचित जनप्रतिनिधि ने पुल के निर्माण और मरम्मत की दिशा में किसी प्रकार की पहल तक करने की कोशिश नहीं की। यही वजह है कि इस बार शिवहर स्क्रू पाइल पुल चुनावी मुद्दा बन गया है। लोग कहते हैं कि पुल पार करने के दौरान इसकी स्थिति का अनुभव करने वाले नेता पहले इसके निर्माण कराने की बात करें। फिर वोट की बात होगी। अन्यथा वोट की चोट से हिसाब-किताब बराबर कर लिया जाएगा। जाहिर हैं कि लोगों में आक्रोश है।

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पुल से गुजरने के वक्त नेताओं को कोसते हैं लोग ::::

शिवहर जिले की पहचान जर्जर सड़क और पुल बन गया है। सड़क और पुल पुलियों की जर्जरता भी इतनी कि सफर करने में दर्द उठाना पड़ता है। कुछ ऐसी ही तस्वीर है शिवहर शहर के जीरोमाइल से ठीक सटे पूर्वी भाग में स्थित स्क्रूपाइल पुल की। इस पुल से गुजरते लोग कम से कम एक बार नेताओं को जरूर कोसते हैं। रखरखाव के अभाव में यह पुल दशकों से जर्जर अवस्था में है। पुल जर्जर है लेकिन कहीं भी इसकी जर्जरता बयां करता बोर्ड नहीं लगा है। वहीं जर्जर पुल से भारी वाहनों एवं सवारी गाड़ियों का गुजरना जारी है। बताते चलें कि यह पुल एनएच 104 शिवहर - सीतामढ़ी के अधीन है। निर्माण कंपनी भी इस खतरनाक पुल के प्रति संवेदनशील नहीं है। कुछ दूरी पर अवस्थित रसीदपुर एवं कोला पुल के पास भी पुराने पुल को हटा दिया गया है। डायवर्सन बने तो हैं लेकिन वह महज खानापूर्ति भर है। जिसमें बने बड़े- बड़े गड्ढे राहगीरों को डराने को काफी है। हिलते-डोलते गुजरते वाहनों पर सवार यात्रियों का हाथ सीधे कलेजे पर ही रहता है। एनएच 104 के निर्माण की धीमी रफ्तार भी परेशानी का सबब बन गई है। सबसे बुरा हाल बागमती डुब्बा पुल एवं पूर्वी तटबंध के बीच देखा जा रहा है। जहां सड़कों पर उड़ती धूल चालकों का संतुलन बिगाड़ रही है। इस रास्ते सीतामढ़ी जाना टेढ़ी खीर बन गया है। नतीजतन लोग रुट बदलकर पिपराही व पुरनहिया होकर सीतामढ़ी जाने को मजबूर हैं।


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