नल जल योजना की सफलता में संदेह
शिवहर। सीएम के सात निश्चय में शामिल नल जल योजना का जिले में बुरा हाल है। सरकारी स्तर पर काम हुए हैं, हो रहे हैं और होते रहेंगे।
शिवहर। सीएम के सात निश्चय में शामिल नल जल योजना का जिले में बुरा हाल है। सरकारी स्तर पर काम हुए हैं, हो रहे हैं और होते रहेंगे। लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि योजना का समुचित लाभ जिलावासियों तक नहीं पहुंच रहा है। लाखों की लागत से वार्डों में बने लोहे के एंगल के जलमीनार शोभा की वस्तु बन गए हैं। कहीं बिजली कनेक्शन नहीं तो कहीं पाइप लाइन ही नहीं बिछी ह़ै। ऐसे भी बहुत से गांव हैं जहां नल जल योजना की कवायद पूरी कर ली गई है। लेकिन शुद्ध पेयजल ग्रामीणों को अब भी मयस्सर नहीं है। कहीं पाइप फूटने से सड़कों पर पानी फैल रहा है तो कहीं पाइप बिछी ही नहीं। कहीं नल की टोंटियां ही गायब है तो कहीं टोंटी का नॉब टूटा पड़ा है जिसमें प्लास्टिक ठूंस दिया गया है। ऐसे भी नलों की संख्या कम नहीं है जहां शुद्ध पेयजल खेतों में सह रहा है। इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि कई गांवों में नल जल योजना सुचारु रुप से संचालित है। लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि नल के शुद्ध जल की बर्बादी रोकना भी आवश्यक है। टोंटी नहीं होने से लगातार पानी का बहाव सड़क पर या फिर खेतों में होता है जो ¨चता का विषय है। हद तो यह है कि इस टैपविहीन नल में आसपास के लोग एक टोंटी लगाना मुनासिब नहीं समझते। अलबत्ता उस पानी का उपयोग मवेशी धोने एवं ¨सचाई के रुप में करना अपना अधिकार समझते हैं। इन विसंगतियों को जब तक दूर नहीं किया जाएगा तब तक नल जल योजना अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच सकती। यह अलग बात है कि फाइलों में ही नल योजना पूरी करने की खानापूर्ति कर ली जाए। सीएम के सात निश्चय योजना के क्रियान्वयन के लिए अभी बहुत कुछ करना शेष है। हालांकि ग्रामीणों की मानें तो इसके तहत बिछाई गई पाइप लाइन एवं लगाए गए नल निर्धारित मानक एवं गुणवत्ता के अनुरूप नहीं हैं। फलत: साल दो साल में प्लास्टिक की टंकी, प्लास्टिक की पाइपें एवं प्लास्टिक के ही नल जबाब दे जाएंगे। ग्रामीण में शुद्ध पेयजल के इंतजार में हैं लेकिन यह योजना लूट के गिरफ्त से निकल नहीं पा रही। हालांकि डीएम अरशद अजीज ने इन विसंगतियों को दूर करने का प्रयास प्रारंभ कर दिया है। सुबह मॉर्निंग वॉक के तहत गांवों का दौरा कर योजना की सच्चाई से अवगत हो रहे हैं। लोगों से सीधा संवाद स्थापित कर नल जल योजना की नब्ज टटोलने में लगे हैं। वहीं संबंधित अधिकारियों को अल्टीमेटम भी दे रखा है कि योजना को पूरी ईमानदारी से पूर्ण करें। इसमें किसी तरह की कोई बहानेबाजी नहीं चलेगी। इस योजना के महत्त्व को समझने की अपील की है। वहीं बताया है कि आर्सेनिकयुक्त जल सेवन करने से कई तरह की बीमारियां भी होती हैं। उससे बचाव को लेकर ही इस महत्त्वपूर्ण योजना को संचालित किया गया है। लोगों का मानना है कि जिले में नल जल योजना में हो रहे छल से प्रतीत होता है कि चापाकल ही लोगों की प्यास बुझाने के काम आएगें।