संतोष झा की विरासत संभालना बनी चुनौती
संतोष झा की मौत के बाद उसकी विरासत को कौन संभालेगा ? यह यक्ष प्रश्न सभी के जेहन में कौंध रहा है। हालांकि सूत्रों की मानें तो संतोष झा के शिष्य माने जानेवाले मुकेश पाठक ने कमान संभालने की घोषणा गैंग के सदस्यों से करवा रखी है।
शिवहर। संतोष झा की मौत के बाद उसकी विरासत को कौन संभालेगा ? यह यक्ष प्रश्न सभी के जेहन में कौंध रहा है। हालांकि सूत्रों की मानें तो संतोष झा के शिष्य माने जानेवाले मुकेश पाठक ने कमान संभालने की घोषणा गैंग के सदस्यों से करवा रखी है। उधर विरासत संभालने को होड़ है वहीं दूसरी ओर संतोष झा के परिजन उसके काल का ग्रास बनने से शोकाकुल हैं वहीं भविष्य के संकट से जूझने की जद्दोजहद कर रहे हैं। यह तय है कि पारिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ उसके वृद्ध पिता चंद्रशेखर झा के बदले रीता देवी के ऊपर होंगी । यह कहना न होगा कि पति के जेल में होने से रीता देवी का चुनौतियों से जूझना कोई नई बात नहीं है। लेकिन यह भी सच है कि इकलौते बेटे एवं चार बेटियों की पढाई लिखाई एवं परवरिश आसान नहीं है। अपनी पांच संतानों के भविष्य की ¨चता से वह खासी परेशान है। शोक के पल में वह किसी से बात करने से हिचक रही है। पति के खोने का गम और भविष्य की ¨चता से वह जूझती दिख रही है। हालांकि उसके परिजन विधि का विधान कह कर दिलासा दे रहे हैं। मगर रीता देवी को अपने एक मात्र पुत्र सम्राट की ¨चता ज्यादा है। हालांकि श्वसुर चंद्रशेखर झा का होना एक संबल जरुर है जो मार्गदर्शक के रुप में हैं। दोस्तियां स्थित निर्माणाधीन मकान अभी अधूरा है। नतीजतन आवास के रुप में सामुदायिक भवन का सहारा है। श्राद्ध कर्म में आए मेहमानों के लिए फिलहाल गौशाला को रहने लायक बनाया जा रहा है। - बच्चों का कैरियर है चुनौती बच्चों का कैरियर को लेकर रीता देवी बार बार ¨चता जता रही थी। बता दें कि बड़ी पुत्री सोनम इंटर विज्ञान से उत्तीर्ण है।, शिवानी मैट्रिक तो सलोनी 9 वीं एवं छोटी 8 वीं की छात्रा है सभी पटना में रह कर पढाई कर रही हैं। जबकि पुत्र सम्राट वर्ग 3 का छात्र है। श्वसुर चंद्रशेखर झा का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने से घर के कार्यों को लेकर भी ¨चतित है। फिलहाल सभी अपने सगे लौकिक श्राद्ध कर्म को लेकर तैयारी में जुटे हैं।