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हाथों में झंडा लिए पैदल आते थे प्रत्याशी

लोकसभा चुनाव के अब महज कम दिन शेष हैं। आम चुनाव को लेकर आम वोटरों में उत्साह देखा जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Apr 2019 01:17 AM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 06:12 AM (IST)
हाथों में झंडा लिए पैदल आते थे प्रत्याशी
हाथों में झंडा लिए पैदल आते थे प्रत्याशी

शिवहर। लोकसभा चुनाव के अब महज कम दिन शेष हैं। आम चुनाव को लेकर आम वोटरों में उत्साह देखा जा रहा है। अब वोट की अहमियत सभी समझने लगे हैं। इंतजार है 12 मई का। इधर शिवहर के इस्लामपुर निवासी 97 वर्षीय अब्दुल अजीज को भी वोट देने की बेसब्री है। कहते हैं कि क्या पता अगले इंतखाब में मैं रहूं या नहीं। बताते हैं कि आजादी के बाद 1952 से बिना नागा किए हरेक चुनाव में मतदान किया है क्योंकि वोट की अहमियत हम बखूबी जानते हैं। ब्रिटिश हुकूमत एवं अपने देश में अपनी सरकार का अंतर अपनी आंखों से देखा है। बताया कि आजादी के बाद 1952 में हुए प्रथम चुनाव में मैं अपनी बीबी रफीकन खातून के साथ वोट देने गया था। तब स्थानीय ट्रेनिग स्कूल में इकलौता बूथ हुआ करता था। वोट देनेवाले लोग भी कम ही होते थे। बूथ पर कोई शोर- शराबा नहीं बावजूद एहतियातन लाठी पार्टी रहती थी। उन दिनों चुनाव मैदान में उम्मीदवारों की संख्या भी कम होती थी। समाज सेवा रखने वाले लोग ही आगे आते थे। बिना खर्च के हाथों में झंडा लिए पैदल, बैलगाड़ी या फिर जीप गाड़ी से गांवों में आते थे। मीटिग होती थी वहीं लोग तय कर लेते थे कि वोट किसको देना है। आज की तरह वोटों की तिजारत नहीं होती थी। अब तो सब कुछ बदल गया है, लेकिन एक चीज नहीं बदली है और वो है जनता को वोट करने का हक। मैं अपने हक पर कायम हूं, इसलिए इंशाअल्लाह वोट करने जरुर जाउंगा।

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