ईद को लेकर बाजार हुआ गुलजार
शिवहर। आखिर वह घड़ी आ ही गई जिसका इंतजार पूरी साल रहता है। एक सच्चे मुसलमां के लिए ईद के दिन से अफजल और कोई दिन नहीं होता।
शिवहर। आखिर वह घड़ी आ ही गई जिसका इंतजार पूरी साल रहता है। एक सच्चे मुसलमां के लिए ईद के दिन से अफजल और कोई दिन नहीं होता। पूरे महीने रोजा रखने के बाद दीदारे चांद की खुशी लफ़्•ाों में बयां नहीं की जा सकती। हां तो बात करें ईद- उल- फितर की। मंगलवार को न सिर्फ जिला मुख्यालय बल्कि चौक चौराहे भी गुलजार दिख रहे थे। हर ओर ईद की तैयारी सबाब पर। कोई कपड़ों की खरीदारी में मशगूल दिखा तो कोई सेवईयों के भाव पूछता दिखा। दावत भी तो देनी है अपने इष्ट मित्रों को पहले से ही कह रखा है। ईद के दावत में सेवई खजूर और सूखे मेवे नहीं हुए तो फिर दावत कैसी। खैर. मंगलवार का दिन तैयारियों में गुजरा। हर तो यह कि आज की आखिरी इफ्तार फीकी रही वजह कल्ह ईद जो है। ईदगाहों की साफ सफाई अल्लशुबह से ही की जाने लगी। तेज धूप की परवा किए बगैर रोजेदारों ने ईदगाहों को चमका रखा है जहां बुधवार की सुबह जमात में नमाज अदा की जाएंगी। वहीं अल्लाह ताला से खैरियत की दुआ मांगी जाएगी कि गुजिस्तां साल जो हुआ सो हुआ आनेवाले साल में अल्लाह बरकत अता फरमाएं। वहीं खुशियों से नवाजें। वहीं दूसरी ओर ईदगाहों के पास मेला भी लगने की तैयारी है जहां नमाज के बाद खरीदारी की जानी है। बच्चों की खुशी का तो पारावार ही नहीं है। सच पूछिए तो उनके पांव जमीं पर नहीं है। अपने वालिद अम्मी सहित परिवार के सभी बुजुर्गों से ईदी के पैसों की न सिर्फ डिमांड की गई है बल्कि उसके मुताबिक खरीदारी की लिस्ट भी जुबानी याद है। ईद की खुशी का आलम यह है कि महीना भर पहले ही कल्ह की प्लानिग तय है। दोस्तों स्कूल के साथियों को दावत का ध्यान सिर्फ न्योता दिया गया है वरन् उसे हर हाल में शामिल दावत होने की ताकीदें की गई है। कुल मिलाकर मौसम ईदनुमा हो गया है। सबसे खुशी उन रोजेदारों की है जो बाहरी मुल्क से ईद के मौके पर अपने वतन को लौटे हैं। लंबे अरसे के बाद अपनों से मिलने की खुशी उनकी आंखों में झलक रही हैं। वहीं अपनों के लिए लाए गए तोहफे लोग हैरत भरी नजर से देख रहे हैं। लाए गए सौगातों में कपड़े, कीमती एवं दुर्लभ खजूर, सेवइयां और आबे जमजम खास है। अब इंतजार है सुबह होने की जब रमजान की आखिरी नमाज अदा की जाएंगी।