भागवत कथा में है जीवन जीने की कला का रहस्य
तरियानी में शारदीय नवरात्र के अवसर पर आयोजित दूर्गा पूजनोत्सव पर शुक्रवार की रात तरियानी छपरा में श्री मद्भागवगत कथा ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ किया गया।
शिवहर। तरियानी में शारदीय नवरात्र के अवसर पर आयोजित दूर्गा पूजनोत्सव पर शुक्रवार की रात तरियानी छपरा में श्री मद्भागवगत कथा ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत समाजसेवी ठाकुर धर्मेन्द्र ¨सह ने फीता काटकर किया। उन्होंने कहा कि श्रीमछ्वागवत कथा से मानवीय चेतना में ज्ञान का संचार होता है। वहीं जीवन जीने की कला के साथ नैतिकता एवं संस्कार में वृद्धि होती है। श्रीमछ्वागवत कथा मानव को मृत्यु के भय से भी मुक्त कर देती है। इस दौरान मथुरा से आये कथावाचक आचार्य सुधांशु जी महाराज ने कथा के प्रारंभ में कहा कि जिन पर परमात्मा की विशेष कृपा होती है, उसे ही श्रीमदभागवत कथा पंडाल में पहुंचने एवं भगवान का सानिध्य पाने का अवसर प्राप्त होता है। कहा कि आज समाज में पाश्चात्य संस्कृति हावी होने है। फलत: जीव ईश्वर का स्वरूप होते हुए भी ईश्वर को पहचानने का प्रयत्न नहीं करता है। इसी कारण वह आंनद से वंचित हो जाता है। इस दौरान उन्होंने बदलती संस्कृति को सनातन धर्म के लिए खतरा बताया। कहा कि भागवत कथा जीवन दर्शन का ग्रंथ है। भागवत की भक्ति का आदर्श कृष्ण की गोपियां हैं। गोपियों ने घर नहीं छोड़ा और न ही स्वधर्म का त्याग किया। गोपियों ने वन गमन भी नहीं किया फिर भी श्रीकृष्ण को प्राप्त करने में सफल रहीं। चुनौती दी कि भागवत के अलावा अन्य कोई ग्रंथ नहीं जो मनुष्य को मात्र सात दिन में मुक्ति का मार्ग दिखा दे। इससे पूर्व मंगलाचारण के साथ व्यासपीठ को पूजन अर्चन किया गया। मौके पर मुन्ना ¨सह मलेक्ट्री, लोहा ¨सह, टीपी ¨सह, डॉ. लोकेश सहित बड़ी संख्या में आसपास के गांवों से आए श्रद्धालु मौजूद थे। आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि भागवत कथा ज्ञान यज्ञ विजयदशमी चलेगा।