सड़क की समस्या से जूझ रहा बसंत जगजीवन
कहते हैं भारत की आत्मा गांवों में बसती है कितु गांवों की हालत देख आत्मा कचोटती है जहां आज भी आवागमन की मुकम्मल सुविधा मौजूद नहीं है।
पुरनहिया। कहते हैं भारत की आत्मा गांवों में बसती है कितु गांवों की हालत देख आत्मा कचोटती है जहां आज भी आवागमन की मुकम्मल सुविधा मौजूद नहीं है। बरसात में कीचड़ तो सूखे के दिनों में सड़कों पर धूल ही गांव की पहचान है। यह बात अलग है कि सरकारी आंकड़ों में प्रतिदिन सैकड़ों हजारों किलोमीटर सड़कें बनाई जाती है। गांव की पाती अभियान के तहत गांवों का दर्द जानने दैनिक जागरण टीम पुरनहिया प्रखंड के बसंत जगजीवन गांव पहुंची।
प्रखंड मुख्यालय के पूर्वोत्तर में स्थित बसंत जगजीवन एक मायने में भौगोलिक विषमता का भी शिकार है। खैर . वहां पहुंचे ग्रामीणों ने वर्तमान मुखिया कमलेंदु कुमार सिंह के नेतृत्व में विकास को स्वीकारा। कहा कि पंचायत स्तर से हर क्षेत्र में काम हुआ है। कितु यहां की सबसे प्रमुख समस्या सड़क की है जो पंचायत के बस की नहीं है। हद तो यह कि इलाके का नाम देश में रौशन करने वाले शहीद मेजर चंद्रभूषण द्विवेदी के पैतृक गांव चंडीहा को जानेवाली सड़क जर्जर हालत में है। बसंत जगजीवन बाजार से टोले गढ़वा की सड़क पर गुजरता हर राहगीर कभी खुद को तो कभी सरकार को कोसता दिखाई देता है। इधर मदन छपरा के ग्रामीण सड़क स्थिति भी कमोवेश वैसी ही है। निर्माणाधीन उक्त सड़क के निर्माण कंपनी से रंगदारी मांगने को लेकर हुई फायरिग से व्यवधान उत्पन्न हो गया था कितु पुन: काम चालू होने से लोगों को उम्मीद है कि सड़क बन जाएगी। उधर अशोगी छपरा(धनी) मदन छपरा एवं चक सोनौल में सड़क की स्थिति सुधरी है। कितु अभी भी सुधार की दरकार है।
पंचायत में शामिल बसंत जगजीवन, अशोगी छपरा(धनी), मदन छपरा एवं चक सोनौल गांव के लिए एक हाई स्कूल है जो नाकाफी है। वहीं सरकारी विद्यालयों में पठन-पाठन से गांव के अभिभावकों को संतुष्टि नहीं है। संपन्न लोग निजी विद्यालयों की शरण में हैं जबकि शेष सरकारी विद्यालयों में बच्चों को भेजते हैं। स्वास्थ्य सुविधा भी सरकारी ढ़र्रे की ही है गांव के ढाई किलोमीटर की दूरी पर स्वास्थ्य केंद्र मौजूद है कितु इलाज जिला मुख्यालय में ही जाने पर संभव हो पाता है। बिजली आने से गांव में रौशनी एवं किसानों को सिचाई की सुविधा सुलभ जरुर हुई है कितु लो वोल्टेज एवं आपूर्ति में कटौती से उपभोक्ताओं में असंतोष आम बात है। - विशाल वटवृक्ष है पंचायत की पहचान
बसंत जगजीवन एव़ अशोगी गांव के बीच मुख्य पथ के पास बड़े दायरे में फैला विशाल वटवृक्ष आकर्षण एवं आस्था का केंद्र है। यहां की बड़ी मान्यता है। बौद्धि माता स्थान से विख्यात उक्त स्थान पर विशेष तिथियों पर मेला में श्रद्धा़लुओं की भीड़ उमड़ती है। मान्यता है कि यहां पूजा करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मुखिया कमलेंदु कुमार सिंह कहते हैं कि पंचायत प्रगति की राह पर है। विकास कार्यों को धरातल पर उतारने में पूरी पारदर्शिता है। वार्ड 2, 6,11,13,14 एवं 15 में पक्की गली नली एवं सड़क का कार्य पूर्ण है। नल जल योजना में कुल चौदह वार्डों में नौ वार्डो में काम पूरा कर लिया गया है जबकि शेष पांच वार्डों में काम प्रक्रियाधीन है। सामाजिक सुरक्षा पेंशन को लेकर जरुरतमंदों को पूरी संजीदगी से लाभ दिलाने की कोशिश होती है। अधिकांश सड़कें दुरूस्त की कर ली गई हैं शेष जर्जर सड़कों की स्थिति 14 वें वित्त आयोग के राशि से सुधारने की योजना है।
बसंत जगजीवन निवासी अनिल सिंहा का कहना है कि बेशक यहां विकास कार्य हुए हैं कितु अभी और भी बहुत से काम बाकी हैं। खेतों की समुचित सिचाई के लिए बंद नलकूपों को चालू कराया जाना बेहद जरूरी है। सोनेलाल साह का कहना है कि जब गांव में बिजली है तो सड़क पर स्ट्रीट लाइट लगाने की जरूरत है। उसके कई फायदे होंगे। गोविदा जायसवाल युवा सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि विकास के लिए रोजगार को बढ़ावा दिया जाना जरूरी है। खासकर युवाओं को जब रोजगार उपलब्ध हो जाएंगे तो विकास स्वत: दिखाई देने लगेगा। बसंत जगजीवन पंचायत : एक नजर - कुल जनसंख्या : 11102
- कुल मतदाता : 6676
- मतदान केंद्रों की संख्या- 15
- साक्षरता दर -61. 78
- कुल परिवारों की संख्या: 2553
- आगनबाड़ी केंद्र: 07
- स्वास्थ्य उपकेंद्र: 01
- प्राथमिक: 02
- मध्य विद्यालय: 04
- हाई स्कूल: 01
- लिगानुपात: 878
- डाकघर: