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बाबा भुवनेश्वरनाथ महादेव मंदिर अति प्राचीन

शिवहर में शिवालयों की एक लंबी श्रृंखला है, जिसमें शिवहर- सीतामढ़ी राष्ट्रीय राजमार्ग 104 से सटे देकुली धाम स्थित बाबा भुवनेश्वरनाथ महादेव मंदिर अति प्राचीन है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 11:40 PM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 11:40 PM (IST)
बाबा भुवनेश्वरनाथ महादेव मंदिर अति प्राचीन
बाबा भुवनेश्वरनाथ महादेव मंदिर अति प्राचीन

शिवहर। शिवहर में शिवालयों की एक लंबी श्रृंखला है, जिसमें शिवहर- सीतामढ़ी राष्ट्रीय राजमार्ग 104 से सटे देकुली धाम स्थित बाबा भुवनेश्वरनाथ महादेव मंदिर अति प्राचीन है। इस मंदिर की बाबत अनेक ¨कवदंतियां प्रचलित हैं जिससे भक्तों की गहरी आस्था इस मंदिर के प्रति है। इतिहास

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बाबा भुवनेश्वरनाथ महादेव मंदिर को द्रुपदकालीन बताया जाता है। कहते हैं कि अज्ञातवास के दौरान लाक्षागृह में फंसे पांचों पांडव सुरंग के रास्ते यहीं बाहर निकले थे। विशाल टीले पर स्थित इस शिवालय को राजा द्रुपद का किला भी बताते हैं। वहीं मान्यता है कि अयोध्यागमन के के क्रम में विदेहतनया सीताजी की डोली यहां रुकी थी। अन्य भी कई तरह की धार्मिक मान्यताएं इस मंदिर से जुड़ी है। विशेषताएं

देकुली धाम स्थित शिव¨लग का जलाभिषेक शीघ्र फलदायी है। कहते हैं कि यहाँ पहुंचने मात्र से सारे क्लेश दूर हो जाते हैं वहीं समस्त कामनाओं की पूर्ति होती है। मंदिर प्रांगण में मुंडन, यज्ञोपवित, विवाह, अष्टयाम, लखरांव आदि पूरे वर्ष होता रहता है ¨कतु सावन मास में पड़ोसी जिलों के अलावा नेपाल से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आना होता है। सोमवारी दर्शन को तो भीड़ अनियंत्रित हो जाती है। शिवालय के समीप स्थित पोखर या फिर महज आधा किलोमीटर पर कलकल बहती बागमती का जल लेकर श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं और मुंहमांगी मुरादें पाते हैं। यहां स्थापित शिव¨लग अछ्वुत एवं अद्वितीय है। वहीं मंदिर का वास्तु अनूठा है। दस गहरे गर्भगृह में स्थापित बाबा के जलाभिषेक से सभी मनोवांछित फल पूरे होते हैं। सावन मास की सोमवारी शिव को विशेष प्रिय है। इसलिए सोमवारी दर्शन का विशेष महत्व है। यही कारण है कि लाखों की तायदाद में पहुंचे श्रद्धालु यहां से खाली हाथ नहीं जाते उनकी मुरादें अवश्यमेव पूरी होती है। - संजय भारती

बाबा भुवनेश्वरनाथ की महिमा अपरंपार है। यहां दरबार में पहुंचे हर छोटे बड़े, आम व खास भक्तों की सारी मनोकामनाएं बाबा स्वत: पूरी करते हैं। दर्शन, पूजा, अर्चना जलाभिषेक तो पारंपरिक विधान है वस्तुत: यहां सच्चे मन से की गई प्रार्थना अवश्य स्वीकार की जाती है। बाबा भुवनेश्वर बड़े दयालु हैं, जिनकी कृपा जिलावासियों सहित तमाम भक्तों पर हमेशा बरसती रहती है।

- राजन


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