बाढ़-बरसात के बाद अब धान की फसल पर रोगों का साया
जिले में पहले बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि फिर बाढ़-बरसात ने धान व गन्ना से लगी उम्मीदों पर पानी फेर दिया था। अब धान की फसल पर रोगों का कहर टूट रहा है। इसके चलते किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर रहा है।
शिवहर । जिले में पहले बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि फिर बाढ़-बरसात ने धान व गन्ना से लगी उम्मीदों पर पानी फेर दिया था। अब धान की फसल पर रोगों का कहर टूट रहा है। इसके चलते किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर रहा है।
जिले में 25 हजार हेक्टेयर में लगी धान की फसल पर बैक्टीरिया जनित लीफ ब्लास्ट रोग और फंगस का प्रभाव दिख रहा है। इससे तैयार हो रही धान की फसल की पत्तिया पीली पड़कर सूख रही हैं। कई जगह बाली लगने के साथ ही पौधे सूख गए हैं। दूसरी ओर, 20 हजार हेक्टेयर में लगी गन्ने की फसल तेज हवा के कारण गिरकर पानी में डूब गई है। जलजमाव के चलते फसल सूख रही है। पिपराही निवासी सत्येंद्र प्रसाद, राम जीवन प्रसाद, पुरनहिया के जगत लाल और शिवहर के रामाश्रय साह सहित अन्य किसानों का कहना है कि रोपाई के बाद बाढ़ से धान की फसल बर्बाद हो गई थी। दोबारा बोआई करनी पड़ी। फसल तैयार होने वाली है तो अब बीमारी ने घेर लिया है। गन्ने की फसल तो वैसे ही खत्म हो गई है। कर्ज लेकर की गई खेती की भरपाई कैसे होगी, समझ नहीं आ रहा।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसके राय के अनुसार कार्बेन्डाजिम, आइसोप्रोथियोलॉन, प्रोपिकोनाजोल व हेक्साकोनाजोल का छिड़काव कर फसल को बचाया जा सकता है। जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार राव कहते हैं कि इस बार धान सहित अन्य फसलें प्रभावित हुई हैं। विभाग ने क्षति का आकलन कर सरकार को रिपोर्ट भेजी थी। हालाकि, तत्काल क्षति की भरपाई होती नहीं दिख रही है। अब इंतजार है आदर्श आचार संहिता समाप्त होने का।
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