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दस वर्षों में नहीं बन सकी 7 किलोमीटर सड़क

शिवहर को जिला बने 24 वर्ष व्यतीत होने के बाद भी पवित्रनगर, हरनाही एवं चिकनौटा गांव का संपर्क पथ नहीं बन पाया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 06:57 PM (IST)Updated: Sat, 08 Sep 2018 12:32 AM (IST)
दस वर्षों में नहीं बन सकी 7 किलोमीटर सड़क
दस वर्षों में नहीं बन सकी 7 किलोमीटर सड़क

शिवहर। शिवहर को जिला बने 24 वर्ष व्यतीत होने के बाद भी पवित्रनगर, हरनाही एवं चिकनौटा गांव का संपर्क पथ नहीं बन पाया है। नतीजतन लोगों को आज भी कच्ची सड़क से गुजरने की मजबूरी है। हल्की बरसात में भी इस सड़क से गुजरना मुश्किल भरा काम है। वहीं उक्त गांवों की स्थिति नारकीय हो गई है हद तो यह कि इन गावों के साथ नगर पंचायत के वार्ड 15 का दक्षिणी हिस्सा भी जिला मुख्यालय में होने के बावजूद गांवों से बदतर हालत में है। बरसात में घर लौटने के लिए भी कई बार सोचना होता है। खराब सड़क होने से अब लोगों की आमोदरफ्त भी कम हो गई है। जबकि यह सड़क शिवहर एवं तरियानी प्रखंड के दर्जनों गांवों को सीधा जोड़ते हुए मुजफ्फरपुर पथ में जा मिलती है। लेकिन इस पथ का दुर्भाग्य कहें या प्रशासनिक उदासीनता कि वर्ष 2008 में प्रधानमंत्री सड़क योजना में चयनित होने के बावजूद इसका उद्धार नहीं हो सका। शिवहर ब्रह्म स्थान चौक से चिकनौटा हरनाही पश्चिमी होते हुए पवित्र नगर गांव तक के करीब 7 किलोमीटर सड़क के लिए तब 4.5 करोड़ रुपये की रआशि मिली थी । निर्माण कंपनी कालिका जेवी ने सड़क के दोनों ओर मिट्टी खोदकर बनाने के बजाए और भी खराब ही किया वहीं निर्माण कार्य को अधर में छोड़ लापता हो गई। तब से बीते 10 वर्षों से उक्त गांवों के लोग नारकीय स्थिति से जूझ रहे हैं। शहर के यज्ञवाला गाछी के समीप से जर्जर पथ की शुरुआत होती है जो चिकनौटा कब्रिस्तान, पोखर टोला, हरनाही शिवमंगल ¨सह एवं कामेश्वर राय के मकान के समीप, भाग्यनारायण राऊत के घर के समीप काला बदबूदार कीचड़ देख लोगों को नाक- भौं ¨सकोड़ते देखा जा सकता है। यह समस्या वर्षों पुरानी है, लेकिन इसका स्थायी समाधान नहीं होने से लोगों में आक्रोश पनपने लगा है। वहीं लोगों को इस बात का भी मलाल है कि जिले के आसपास के सभी गांवों के लिए पक्की सड़कें निकली हैं लेकिन इन गांवों को आज भी कच्ची सड़क का ही आसरा है। हालांकि इधर खबर आ रही है कि पूर्व के निर्माण कंपनी को काली सूची में डाल किसी नई कंपनी को ठेका मिला है लेकिन उक्त गांवों के लोग इतने नाउम्मीद हो गए हैं कि भरोसा नहीं आ रहा।

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