प्रतीक्षा,परीक्षा एवं समीक्षा है जरूरी
भक्ति के मार्ग में प्रतीक्षा बहुत आवश्यक है। प्रभु जरूर आएंगे। कृपा करेंगे। ऐसा विश्वास रखते हुए प्रतीक्षा का परिणाम ही था कि सबरी की कुटिया में प्रभु श्रीराम पहुंचे। उनके जूठे बेर भी खाए। इसी प्रकार परीक्षा करते रहें। किसी की भी महत्वाकांक्षा के मार्ग पर बाधा बनोगे तो वह पल भर में पराया हो जाएगा।
फोटो 13 सीपीआर 1
संसू, मकेर : भक्ति के मार्ग में प्रतीक्षा बहुत आवश्यक है। प्रभु जरूर आएंगे। कृपा करेंगे। ऐसा विश्वास रखते हुए प्रतीक्षा का परिणाम ही था कि सबरी की कुटिया में प्रभु श्रीराम पहुंचे। उनके जूठे बेर भी खाए। इसी प्रकार परीक्षा करते रहें। किसी की भी महत्वाकांक्षा के मार्ग पर बाधा बनोगे तो वह पल भर में पराया हो जाएगा। महावीर चौक पर हो रहे नौ दिवसीय शिव शक्ति महायज्ञ के छठे दिन अयोध्या से आए कथावाचक स्वामी राधेश्याम शास्त्री ने प्रवचन करते हुए उक्त बातें कहीं।
शास्त्रीजी ने कहा कि संसार का तो प्रेम भी छलावा है। संसार को जितना जल्दी समझ लें उतना अच्छा है ताकि प्रभु के बताए मार्ग पर चल सके । इसी प्रकार अपनी समीक्षा प्रतिदिन करते रहें। इसके लिए आत्मचिंतन करें। जीवन उत्सव कैसे बने। प्रत्येक क्षण उल्लासमय कैसे हो। जीवन संगीत कैसे बने। यह चितन जरूर करना। कुछ छोड़ना पड़े तो छोड़ने की हिम्मत और कुछ पकड़ना पड़े तो उसे पकड़ने की हिम्मत रखना। अपनी समीक्षा से आगे का रास्ता दिखेगा और आप जीवन में बढ़ पाएंगे। प्रवचन सुनने के लिए सैकड़ों की संख्या में क्षेत्र के लोग पहुंच रहे हैं।