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यूजीसी से मिले 25 करोड़ खर्च नहीं कर सके विवि व कॉलेज

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से मिले करीब 25 करोड़ रुपये जयप्रकाश विश्वविद्यालय एवं कॉलेज प्रशासन छह साल में भी खर्च नहीं सका। यूजीसी ने कॉलेज व विश्वविद्यालय को उपयोगिता प्रमाण पत्र देने के लिए कई बार पत्र भेजा लेकिन उसकी सुधि नहीं ली गई। न तो राशि खर्च की न ही हिसाब दिया। इसके बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 14-15 फरवरी को सभी कॉलेजों को पूरा ब्यौरा लेकर आने का अंतिम आदेश दिया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 04:41 PM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 04:41 PM (IST)
यूजीसी से मिले 25 करोड़ खर्च नहीं कर सके विवि व कॉलेज
यूजीसी से मिले 25 करोड़ खर्च नहीं कर सके विवि व कॉलेज

जागरण संवाददाता, छपरा : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से मिले करीब 25 करोड़ रुपये जयप्रकाश विश्वविद्यालय एवं कॉलेज प्रशासन छह साल में भी खर्च नहीं सका। यूजीसी ने कॉलेज व विश्वविद्यालय को उपयोगिता प्रमाण पत्र देने के लिए कई बार पत्र भेजा लेकिन उसकी सुधि नहीं ली गई। न तो राशि खर्च की न ही हिसाब दिया। इसके बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने 14-15 फरवरी को सभी कॉलेजों को पूरा ब्यौरा लेकर आने का अंतिम आदेश दिया है।

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पत्र में कहा गया है कि जितनी राशि खर्च हुई है उसका उपयोगिता प्रमाण पत्र और जितनी बची है उसे वापस करें। विश्वविद्यालय के पास 5 करोड़ एवं 21 अंगीभूत कॉलेजों के पास 20 करोड़ राशि पड़ी हुई है। इस राशि से कॉलेजों में लैब, ई-लाइब्रेरी को आधुनिक सुविधा से लैस करने, रिमेडियल को¨चग चलाने के साथ ही कॉलेज में प्रशासनिक भवन, स्वी¨मग पुल बनाने आदि मद में राशि दी गई थी।

इसे विडंबना ही कहें कि जब विश्वविद्यालय में कोई नई सुविधा बढ़ाने की मांग उठती है तो विवि प्रशासन अक्सर धन की कमी का रोना रोता है।

मालूम हो कि यूजीसी द्वारा 11 वीं एवं 12 वीं वित्त योजना में स्वीकृत लगभग 11 करोड़ रुपये विवि के हाथों से निकल गए है। यूजीसी ने विश्वविद्यालय को लैब के उपकरण, ई-लाइब्रेरी, भवन, देश -विदेश के विश्वविद्यालय के शोध कार्य, शैक्षणिक भ्रमण के लिए करीब 12 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी थी। उसकी पहली किश्त के रूप में पांच करोड़ रुपये वर्ष 2012 में ही यूजीसी ने भेज दिया था। वह पैसा विश्वविद्यालय के खाते में पड़ा है। अब खर्च नहीं करने पर लौटाना पड़ेगा। विवि के 21 कॉलेजों को वित्तीय वर्ष 2008 -12, 2012 -16 में करीब 30 करोड़ रुपये मिले थे। ये भी लौटाने होंगे।


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