कहीं अविनाश की हत्या की साजिश तो नहीं?
सारण। सिविल कोर्ट परिसर में शुक्रवार को पिस्तौल के साथ दो युवको के पकड़े जाने के बाद
सारण। सिविल कोर्ट परिसर में शुक्रवार को पिस्तौल के साथ दो युवको के पकड़े जाने के बाद से लोगों में कई तरह की चर्चाएं हो रही है। बताया जाता है कि कैदी वान में तिहरे हत्याकांड का आरोपी अविनाश राय सवार था। वह किसी मामले में कोर्ट में पेश होने के लिए मंडल कारा से सिविल कोर्ट पहुंचा था। यह गाड़ी सिविल कोर्ट की पुरानी बिल्डिंग के सर्वर रूम के आगे पंक्चर हो गयी गयी जिसे बनाये जाने का प्रयास किया जा रहा था। कैदी वान का दरवाजा खुला था और सुरक्षा प्रहरी नीचे खड़े थे। कुछ सुरक्षा प्रहरी कैदी वान में ही थे जिसमें अविनाश बैठा था। इस बीच मोटरसाइकिल पर सवार दो युवक पहुंचे। कैदी वान से गुजरते हुए आगे बढ़ गये, फिर वापस लौटे। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो ये मोटरसाइकिल सवार मोबाइल पर बात करते हुए आगे बढ़े। फिर कुछ देर के बाद कपड़ा बदलकर कैदी वान के समीप से गुजरे। उनकी निगाहें कैदी वान की ओर ही थी। लोगों की मानें तो वे फिर वहां से लौट गये। कुछ देर के बाद फिर कपड़ा बदलकर वापस आये और कैदी वान से आगे निकल गये। कैदी वान पंक्चर होने के कारण वहीं खड़ी थी। जब वापस लौटने लगे तो सुरक्षा व्यवस्था में लगे पुलिस कर्मियों को संदेह हुआ और उन्होने उसकी तलाशी ली जहां उनके पास से पिस्तौल बरामद किया गया। कुछ लोगों का मानना था कि यहां अविनाश या कि अन्य कैदी की हत्या की नीयत से रेकी जा रही थी। वैसे सूत्रों की माने तो अविनाश अपने ऊपर हमला किये जाने की साजिश के बावत आवेदन कोर्ट में दे चुका है। फिलवक्त कोर्ट परिसर के सुरक्षा व्यवस्था से लेकर कई अन्य तरह की चर्चाएं की जा रही है। विदित हो कि सिविल कोर्ट परिसर में बम विस्फोट की घटना के बाद से सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी थी।
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तो क्या सिर्फ दिखावे के लिए है कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था!
जासं, छपरा : सिविल कोर्ट परिसर में देशी कट्टा के साथ दो युवकों की गिरफ्तारी के बाद से इस बात की चर्चा जोरों पर है कि सिविल कोर्ट परिसर की सुरक्षा व्यवस्था सिर्फ दिखावे के लिए है? परिसर में हुए बम विस्फोट कांड के बाद से सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गयी है। इसके तहत प्रवेश द्वारों पर मेटल डिटेक्टर के साथ सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। सुरक्षा दायरे में सिविल कोर्ट परिसर का दक्षिणी गेट और पश्चिमी गेट शामिल है। यहां सुरक्षा बल के जवान मेटल डिटेक्टर के साथ आने-जाने वालों की तलाशी लेते हैं। इसके बावजूद पिस्तौल के साथ कोर्ट परिसर में युवको के पकडे़ जाने से सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुल गयी है। उत्तरी गेट पर भी पहले सुरक्षा व्यवस्था थी और सिवाय पैदल आने जाने वालों के अलावा किसी को भी भीतर आने की अनुमति नहीं थी। धीरे-धीरे यहां की सुरक्षा व्यवस्था हटा ली गयी और साइकिल लेकर भी लोग बेधड़क इस रास्ते से प्रवेश करने लगे। न्यायिक पदाधिकारियों, वकीलों, कोर्ट कर्मचारियों तथा अधिवक्ता लिपिकों के अलावे किसी की भी गाड़ी का सिविल कोर्ट परिसर में प्रवेश वर्जित था। यह व्यवस्था हाल के दिनों में समाप्त हो गयी और लोग बेधड़क बाइक व अन्य वाहन से सिविल कोर्ट परिसर में प्रवेश करने लगे। मोटरसाइकिल सवार पिस्तौल के साथ दो युवकों के स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर पकड़े जाने से कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवालिया निशान खड़े हो गये हैं।