सेवा संपुष्ट नहीं, मिल गया प्रमोशन और हो गए रिटायर
सच कहा गया है कि दिया तले अंधेरा होता है। इस कहावत को चरितार्थ कर रहा है जिला
सारण। सच कहा गया है कि दिया तले अंधेरा होता है। इस कहावत को चरितार्थ कर रहा है जिला प्रशासन सारण। जी हां, जब भी किसी की नियुक्ति होती है तो तीन वर्ष बाद उस उस कर्मी की सेवा संपुष्ट की जाती है। सेवा संपुष्ट होने के बाद वह कर्मी स्थाई हो जाता है। उसके बाद उसे समय-समय पर प्रमोशन मिलता है, वेतन बढ़ोतरी सहित अन्य का लाभ मिलता है, लेकिन यह सारण जिला प्रशासन में नहीं है। इस जिले में दर्जनों ऐसे कर्मी है जिनकी नियुक्ति तो हुई, लेकिन उनकी सेवा संपुष्ट ही नहीं की गई। उन्हें प्रमोशन भी मिल और वे सेवानिवृत्त भी हो गए।
समाहरणालय सहित जिले के प्रखंड एवं अंचल कार्यालयों को मिलाकर करीब 427 पद हैं। जिसमें लिपिक एवं समूह। का पद शामिल हैं। समाहरणालय में कई सरकारी कार्यालय भी है। प्रशासन के सभी कार्यालयों में तैनात सभी कर्मियों की नियुक्ति से लेकर उसका पूरा ब्योरा स्थापना कार्यालय में रहता है। जब नियुक्ति होती है तो वह कर्मी तीन वर्ष तक अस्थाई कर्मी के रूप में कार्य करता है। तीन वर्ष पूर्ण होने के बाद जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित कमेटी उन कर्मियों को स्थाई करने के लिए सेवा संपुष्ट करती है। सेवा संपुष्ट होने के बाद वह कर्मी स्थाई हो जाते हैं। उसके बाद कर्मियों को समय-समय पर प्रमोशन, वेतन बढ़ोतरी सहित अन्य विभागीय लाभ मिलने लगते हैं, लेकिन सारण जिला प्रशासन ऐसा है जहां के कर्मियों की सेवा आजतक संपुष्ट ही नहीं की गई। उन कर्मियों को समय-समय पर प्रमोशन भी मिला और दर्जनों कर्मी रिटायर भी हो गए। जबकि यहां जिले के वरीय अधिकारी बैठते हैं और बराबर कर्मियों का प्रमोशन, सेवानिवृत्त सहित अन्य कार्य के लिए कर्मियों का फाइल खंगाला जाता है। कर्मियों की सेवा से संबंधित कार्य के लिए ही स्थापना कार्यालय है। जहां से नियुक्ति, स्थानांतरण, विभागीय कार्रवाई, सेवानिवृत सहित कर्मियों की सेवा से संबंधित अन्य कार्य होता है। सूत्रों की माने तो करीब 40 वर्षो से किसी भी कर्मी का सेवा संपुष्ट नहीं हुआ है। लेकिन उन्हें समय-समय पर सरकारी लाभ प्राप्त होता रहा है। इसका खुलासा उस समय हुआ जब समाहरणालय के एक कर्मी ने बैंक से परसनल लोन लेने के लिए आवेदन दिया। उसने ऋण वाले फॉर्म पर नियुक्ति तिथि लिख दिया। लेकिन सेवा संपुष्ट की तिथि नहीं होने के कारण बैंक ने उस आवेदन को वापस कर दिया। जब वह कर्मी सेवा संपुष्ट के बारे में जानकारी लेने के लिए स्थापना कार्यालय में पहुंचा तो पता चला कि 40 वर्षों से आजतक किसी कर्मी की सेवा संपुष्ट ही नहीं हुई है। दर्जनों कर्मी बिना सेवा संपुष्ट हुए रिटायर भी कर गए हैं। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि जब सेवा स्थाई ही नहीं हुई तो कर्मियों को प्रमोशन, वेतन सहित अन्य लाभ कैसे मिल गए और इस पर किसी का ध्यान आजतक नहीं पड़ा।
क्या कहते हैं अधिकारी
कर्मियों की जब नियुक्ति होती है उसके तीन साल बाद उन्हें स्थाई करने का प्रावधान है। जबतक सेवा संपुष्ट नहीं होगा तबतक उस कर्मी को स्थाई नहीं माना जा सकता है। लेकिन किस तरह से कर्मियों को सभी लाभ मिल रहा है। इसके बारे में जांच की जाएगी।
मो.उमैर
स्थापना प्रभारी, छपरा सारण