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सारण में बही थी सत्याग्रह व पिकेटिग की आंधी

स्वतंत्रता के 75 साल पूरा होने के ठीक 75 सप्ताह पूर्व शुक्रवार को देश में अमृत महोत्सव का शुभारंभ हुआ है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की दांडी यात्रा की 91 वीं वर्षगांठ पर अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस महोत्सव का शुभारंभ किया है। आज ही के दिन 12 मार्च 1930 को बापू ने अपनी दांडी यात्रा के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन की नींव रखी थी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Mar 2021 10:41 PM (IST)Updated: Fri, 12 Mar 2021 10:41 PM (IST)
सारण में बही थी सत्याग्रह व पिकेटिग की आंधी
सारण में बही थी सत्याग्रह व पिकेटिग की आंधी

सारण। स्वतंत्रता के 75 साल पूरा होने के ठीक 75 सप्ताह पूर्व शुक्रवार को देश में अमृत महोत्सव का शुभारंभ हुआ है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की दांडी यात्रा की 91 वीं वर्षगांठ पर अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस महोत्सव का शुभारंभ किया है। आज ही के दिन 12 मार्च 1930 को बापू ने अपनी दांडी यात्रा के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन की नींव रखी थी। यह दिन भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास का अहम तारीख है। यह दिन इतिहास के उस कालखंड का साक्षी बनने का दिन है, जिसमें सारण के वीर सपूतों ने भी अपनी आहूति दी थी।

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ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन का शंखनाद हुआ तो सारण में भी दुदुंभी बज उठी। नमक बनाने का कानून तोड़ने को सत्याग्रह व पिकेटिग की आंधी चली। नारायण सिंह तब जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे। इस आंदोलन को मूर्तरूप देने के लिए जिला युद्ध समिति (वार कांउसिल) गठित की गयी। पं. भरत मिश्र इसके अध्यक्ष व रामानंद सिंह सचिव बनाए गये। पं.गिरिश तिवारी और चंद्रिका सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानी इस समिति के सदस्य थे। अंग्रेजी हुक्मरानों का दमन चक्र चला और पं. भरत मिश्र सहित सभी कार्यकर्ता गिरफ्तार कर लिए गये। नारायण बाबू का गोरेयाकोठी गांधी आश्रम, रामविनोद सिंह का मलखाचक गांधी आश्रम, एकमा का परसागढ़ आश्रम और छपरा शहर के करीमचक मोहल्ले में स्थित मौलाना अली साहब का मकान इस आंदोलन के संचालन का केंद्र था।

नमक सत्याग्रह का शुभारंभ बरेजा से

1930 के अप्रैल में मांझी के बरेजा गांव में नमक कानून भंग आंदोलन का श्रीगणेश हुआ। यह आंदोलन सारण के गांव-गांव तक फैला और नारायण बाबू के गोरेयाकोठी में समाप्त हुआ। पं. भरत मिश्र की गिरफ्तारी के बाद बाबू महामाया प्रसाद सिन्हा इस आंदोलन के प्रभारी डिक्टेटर बनाये गये। वे गिरफ्तार हुए तो चंद्रिका सिंह और फिर हरनारायण महथा प्रभारी बने। जगलाल चौधरी, विश्वनाथ मिश्र, फिरंगी सिंह, कुमार पशुपति सिंह, जनक प्रसाद दीक्षित, वीरेश्वरदत्त शर्मा, रामविनोद सिंह जैसे वीर स्वतंत्रता सेनानी इस आंदोलन के नायक थे। ये सभी आंदोलन के दौरान गिरफ्तार कर लिए गये। राजेन्द्र सरोवर के पास देशरत्न ने किया सत्याग्रह

शहर का राजेन्द्र सरोवर तब अलियर साहब का पोखरा कहा जाता था। देश रत्न राजेन्द्र प्रसाद ने इस पोखरे के निकट बगीचे में नमक बनाने का सामान जुटाया। कार्यकर्ताओं के साथ यहां उन्होंने नमक सत्याग्रह शुरू कर दिया। राजेन्द्र बाबू सहित मो. इब्राहिम, शोबराती मियां, दीपा सिंह, अजीज खलीफा सहित अन्य कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। राजेन्द्र बाबू और उनके सहयोगियों की गिरफ्तारी के बाद छपरा शहर में विशाल जनसभा आयोजित हुई। पुलिस ने बर्बरता के साथ लाठीचार्ज किया और सभा में शामिल दर्जनों लोग जख्मी हुए। एक हजार से अधिक स्वतंत्रता के सिपाहियों की गिरफ्तारी

सविनय अवज्ञा आंदोलन में सारण की भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि इस आंदोलन में सारण के 1286 स्वतंत्रता सिपाहियों की गिरफ्तारी हुई। विदेशी माल व शराब का सर्वाधिक बहिष्कार बिहार में यहीं हुआ।


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