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    त्योहारों के बाद पलायन की पीड़ा, सारण में बंद उद्योगों ने मजबूर किया बाहर जाना, रोजगार की तलाश में लौटे प्रवासी

    Updated: Sat, 01 Nov 2025 03:47 PM (IST)

    दीपावली और छठ के बाद सारण जिले से पलायन फिर शुरू हो गया है। रोजगार की तलाश में लोग कोलकाता, दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में लौट रहे हैं। यात्रियों का कहना है कि बिहार में रोजगार के अवसरों की कमी के कारण उन्हें बाहर जाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि चीनी मिलें और अन्य उद्योग बंद होने से स्थिति और खराब हो गई है। स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए इंतजाम किए गए हैं।

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    त्योहारों के बाद पलायन की पीड़ा

    जागरण संवाददाता, छपरा। दीपावली और छठ महापर्व के समाप्त होते ही सारण जिला एक बार फिर पलायन के दर्द को महसूस कर रहा है। त्योहारों के बाद विभिन्न राज्यों में नौकरी करने वाले लोग अब अपनी-अपनी कार्यस्थलों की ओर लौटने लगे हैं। 

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    छपरा जंक्शन पर सोमवार को सुबह से ही ट्रेन पकड़ने वालों की लंबी कतारें दिखीं। कोई कोलकाता जा रहा है, कोई दिल्ली तो कोई मुंबई और वर्धमान की ओर लौटने के लिए प्लेटफॉर्म पर घंटों इंतजार में खड़ा है। ये सभी लोग सारण के वे परिवार हैं, जिनकी रोजी-रोटी अब बिहार से बाहर बस चुकी है।

    बिहार में रोजगार नहीं 

    बलिया–सियालदह एक्सप्रेस पकड़ने आए कई यात्रियों ने खुलकर कहा कि उन्हें बिहार में रोजगार नहीं मिल पाया। मजबूरी में उन्हें बाहर जाना पड़ा, जहाँ नौकरी मिलने के बाद वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर पा रहे हैं। 

    उन्होंने बिहार की सरकारों पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि एक समय था जब प्रदेश में चीनी मिलें, भागलपुर का सिल्क उद्योग और गन्ने की खेती से जुड़ा स्थानीय व्यापार मजबूत था। लेकिन सारण जिले की मार्टन मिल, सारण इंजीनियरिंग कंपनी सहित कई उद्योगों के बंद होने के बाद जिला उद्योगहीन हो गया।

    घर चलाने के लिए बाहर जाना मजबूरी

    यात्रियों का कहना है कि बाद में दो रेल कारखाने जरूर खुले, लेकिन स्थानीय स्तर पर रोजगार का वैसा बड़ा सृजन नहीं हुआ, जिसकी उम्मीद की गई थी। इस कारण घर चलाने के लिए बाहर जाना ही मजबूरी बन गया है। 

    उन्होंने कहा कि इसी वजह से चुनाव में पहले मतदान करने की अपील भी अधिक असर नहीं डाल पाती, क्योंकि पहले नौकरी सुरक्षित करना जरूरी है।

    प्रवासी श्रमिकों ने साझा की अपनी मजबूरी, स्टेशन पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम

    तरैया प्रखंड के सगुनी रजवाड़ा के निवासी कवींद्र सिंह बताते हैं कि वे खड़गपुर की लोहे की पाइप कंपनी में काम करते हैं। छुट्टियां खत्म होते ही उन्हें नौकरी पर वापस लौटना पड़ रहा है। 

    छपरा के दहियावां निवासी अनंत प्रकाश सिंह, जो साउथ कोलकाता की एमपी बिड़ला मैट निर्माण कंपनी में कार्यरत हैं, अपनी शिक्षिका पत्नी के साथ त्योहार मनाकर लौट रहे थे। इसी तरह मिथलेश सिंह, जो बंगाल के वर्धमान जिले में एक कंपनी में शिफ्ट इंचार्ज हैं, बिना मतदान किए ही वापस अपने कार्यस्थल की ओर रवाना हो गए।

    यात्रियों को नियंत्रित रखने के लिए लगातार माइकिंग

    इस बीच, स्टेशन पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए आरपीएफ ने सुरक्षा और व्यवस्था के लिए अतिरिक्त इंतज़ाम किए हैं। आरपीएफ पोस्ट प्रभारी निरीक्षक विनोद कुमार यादव ने बताया कि यात्रियों को नियंत्रित रखने के लिए लगातार माइकिंग की जा रही है। 

    जवान प्लेटफॉर्म पर गश्त कर रहे हैं और भीड़ को लाइन में लगाकर बोगियों में चढ़ने में सहायता प्रदान कर रहे हैं, ताकि किसी तरह की अव्यवस्था या दुर्घटना न हो। त्योहारों के बाद लौटती भीड़ एक बार फिर यही संदेश दे रही है कि सारण के लोग अपनी मिट्टी से कितना भी जुड़े हों, रोजगार के लिए बाहर जाना अब उनकी विवशता बन चुका है।