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बिना निजता के स्वतंत्रता थी आधी -अधूरी

ग्राफिक्स : -सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले को लोगों ने एक सुर से सराहा जागरण संवादद

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Aug 2017 03:04 AM (IST)Updated: Sat, 26 Aug 2017 03:04 AM (IST)
बिना निजता के स्वतंत्रता थी आधी -अधूरी
बिना निजता के स्वतंत्रता थी आधी -अधूरी

ग्राफिक्स :

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-सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले को लोगों ने एक सुर से सराहा

जागरण संवाददाता, छपरा: देश की सर्वोच्च अदालत ने नागरिक की निजता को उसका मौलिक अधिकार माना है। संविधान लागू होने के इतने सालों बाद लोगों को निजता पर अहम अधिकार हासिल हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि निजता का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत मिले जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का ही हिस्सा है। डिजिटल युग में निजता का मौलिक अधिकार होने के बाद डिजिटल डाटा सुरक्षित रखना और उसे लीक से बचाना एक बड़ी चुनौती होगी। जिस पर अभी लंबी चर्चा होगी। सोशल साइट वाट्सएप जैसी निजी सेवाओं जैसी निजी सेवाओं तथा आधार जैसी सरकारी योजनाओं से लोगों की निजता भंग होने को लेकर जारी बहस के बीच यह फैसला बहुत महत्व रखता है। इस पर दैनिक जागरण ने समाज के विभिन्न वर्गो के लोगों से बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश :-

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निजता का अधिकार पूरे देश में एक लंबे दौर से बहस का हिस्सा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने इसको मौलिक अधिकार की संज्ञा देकर इसका दायरा बहुत ज्यादा बढ़ा दिया है। यह महिलाओं की दृष्टि से भी बहुत बड़ा फैसला है और यह समाज को बड़े पैमाने पर प्रभावित करेगा।

प्रीति कुमारी

पीजी छात्रा

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मौलिक अधिकार का हनन होने पर कोई भी व्यक्ति हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में सीधे याचिका दायर करने न्याय की मांग कर सकता है। केंद्र सरकार के की आधार योजना पर अलग पीठ विचार कर रहा है। इस फैसले का इसपर असर पड़ सकता है।

डा. पूनम ¨सह

प्राध्यापक पीजी मनोविज्ञान विभाग

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इस मामले में ज्यादा स्पष्टता की जरूरत है, इसे क्या घाटा और फायदा होगा। यह समय के साथ पता चलेगा। सिर्फ अपनी प्राइवेसी का ख्याल हमे है। देश के सुरक्षा हम सिर्फ सरकार एवं सेना के हवाले करना चाहते है।

डा.श्वेता रानी, शिक्षिका

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सीधे तौर हम इस फैसले से सहमत नहीं है, क्योंकि सरकार को अपने हर देशवासियों के बारे में बहुत जानकारियों को रखना बहुत जरूरी होता है। आगे इस फैसले से आधार केंद्रित योजनाओं पर इसका असर पड़ेगा।

डा. नीलम ¨सह, शिक्षिका

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अदालत ने निजता का अधिकार को मौलिक अधिकार की संज्ञा देकर इसका दायरा बढ़ाया है। इससे समाज के बहुत फैसले को बढ़ाया है। कोर्ट के इस निर्णय का ढाल बनाकर बहुत से कार्य को भी प्रभावित करने की तैयारी अब शुरू होगी। जो देश के विकास में बाधक होगा।

जटी विश्वनाथ मिश्र

पूर्व प्राधानाध्यापक

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सुप्रीम कोर्ट का निर्णय स्वागतयोग्य है, अगर कोई व्यक्ति अपने व्यक्तिगत जानकारी किसी को नहीं देना चाहता है तो वह इसका अधिकार है। उसे नहीं छीना जाना चाहिए। बहुत पहले ही निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार में शामिल किया जाना चाहिए था।

कश्मीरा ¨सह

सामाजिक कार्यकर्ता


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