प्रशासन को पॉलीथिन रोकने की फुर्सत ही नहीं
पर्यावरण एवं मानव जीवन को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले पॉलीथिन का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है। यह बड़ी समस्या का कारण बनती जा रही है।
छपरा : पर्यावरण एवं मानव जीवन को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाले पॉलीथिन का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है। यह बड़ी समस्या का कारण बनती जा रही है। जानकार मानते हैं कि इसका उपयोग नहीं रोका गया तो भविष्य में यह भयावह समस्या बनकर सामने आ जाएगा।
गौरतलब है कि 50 माइक्रॉन से कम वाले पॉलीथिन पर कोर्ट ने रोक का निर्देश दिया था। लेकिन स्थिति है कि बाजार में आम दिनों की तरह ही फुटपाथी से लेकर बड़े दुकानदारों तक पॉलीथिन में सामान बेच रहे हैं। हालांकि बड़े दुकानदार पॉलिथिन पर प्रतिबंध की चर्चा जरूर ग्राहकों से कर रहे हैं।
लोगों का कहना है कि इस ओर जागरुकता की जरूरत है। भले तिथि तय नहीं हुई है लेकिन जिला प्रशासन एवं नगर निगम प्रशासन की ओर से पॉलिथिन के प्रति लोगों को आगाह करना होगा।
छोटे एवं फुटपाथी दुकानदारों को तो पॉलिथिन पर प्रतिबंध के बारे में जानकारी नहीं है। मालूम हो कि पॉलिथिन पेट्रो केमिकल से बना होता है, उसके उपयोग से सांस और स्किन संबंधी रोग बढ़ रहे हैं। शहर का सीवरेज सिस्टम भी खराब हो रहा है। नगर आयुक्त अजय कुमार सिन्हा ने बताया कि पॉलिथिन पर प्रतिबंध के संबंध में उनके साथ कोई निर्देश नहीं आया है, सरकार के तरफ से जो भी निर्देश आयेगा इसके कड़ाई से पालन किया जाएगा। इनसेट :
पॉलिथिन के उपयोग करने पर नहीं हुई कार्रवाई
छपरा : छपरा शहरी क्षेत्र में पॉलिथिन के उपयोग करने पर जिला प्रशासन या नगर निगम प्रशासन ने कोई भी कार्रवाई नहीं की गयी। नगर निगम प्रशासन तो सरकार से कोई दिशा-निर्देश नहीं मिलने की बात कह रही है। नगर निगम प्रशासन का कहना है कि प्रतिबंध का क्या स्वरूप है, क्या कार्रवाई करनी है यह सब जानकारी होना जरूरी है। पॉलिथिन 50 माइक्रॉन से पतली है, यह सब कैसे जांच की जाएगी। यह ही भ्रम कई दुकानदारों में है। इनका कहना था कि हम कैसे जांच करेंगे की पॉलिथिन 50 माइक्रॉन से पतली है।