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सांसे रोक कोर्ट का जजमेंट सुनने को लोग थे बेताब

छपरा। दिन 24 अगस्त 2016। समय अपराह्न करीब साढ़े तीन-पौने चार का । एडीजे दो विजय आनंद तिवारी

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Jul 2017 03:03 AM (IST)Updated: Tue, 04 Jul 2017 03:03 AM (IST)
सांसे रोक कोर्ट का जजमेंट सुनने को लोग थे बेताब
सांसे रोक कोर्ट का जजमेंट सुनने को लोग थे बेताब

छपरा। दिन 24 अगस्त 2016। समय अपराह्न करीब साढ़े तीन-पौने चार का । एडीजे दो विजय आनंद तिवारी का कोर्ट रूम। वकीलों व पक्षकारों की भीड़ से खचाखच भरा था। कोर्ट परिसर में भी बड़ी संख्या में गंडामन गांव के अलावा अन्य लोग भी मौजूद थे। मशरक प्रखंड के धरमासती गंडामन गांव स्थित नवसृजित प्राथमिकी विद्यालय में मिड डे मिल खाने से हुइच् 23 बच्चों की मौत और अन्य के बीमार होने के मामले में कोर्ट का फैसला आना था। लोग सांसे रोक जजमेंट सुनने को बेताब थे। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए कोर्ट परिसर में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। विश्व स्तर पर चर्चित इस घटना के फैसले के कवरेज को ले ¨प्रट व इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार के भी परिसर व परिसर के बाहर बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। बचाव पक्ष के वकील भोला प्रसाद व उनके सहयोगी नरेश प्रसाद यादव कोर्ट रूम में मौजूद थे । वहीं लोक अभियोजक सुरेंद्र नाथ ¨सह बेजोड़ का इंतजार हो रहा था। उनके सहयोगियों के साथ इजलास पर पहुंचते ही कड़ी सुरक्षा के बीच मामले के आरोपी विद्यालय की तत्कालीन प्रधानाध्यापिका मीना देवी और उनके पति अर्जुन राय को लाकर अभियुक्त के कटघरे में खड़ा कर दिया गया। इसके बाद कोर्ट ने अर्जुन राय को संदेह का लाभ देते हुए जहां बरी कर दिया वहीं मीना देवी को दोषी करार दिया। कोर्ट का आदेश सुनते ही पति-पत्नी फफक पड़े। सजा की बिदु पर सुनवाई की तिथि 29 अगस्त कोर्ट ने मुकर्रर की और इसके साथ ही सजा को लेकर न्यायविदों में कयास लगाए जाने लगे। 29 अगस्त को कोर्ट ने इस मामले में मीना देवी को जब 304(2) भादवि में दस साल और 308 भादवि में सात साल के सश्रम कारावास के साथ भारी अर्थदंड लगाने के बाद जब यह फैसला सुनाया कि दोनों सजा अलग-अलग चलेंगी तो सिविल कोर्ट से अबतक के सबसे अलग तरह की मिली सजा न्यायविदों के बार फिर चर्चा का विषय बन गया। सजा सुनाए जाने के बाद मीना देवी को जेल भेज दिया गया था। कोर्ट की सजा को लेकर न्यायविदों व आम लोगों के बीच चर्चा को लेकर जो मुख्य बात सामने आ रही थी वो यह थी कि पटच्ना उच्च न्यायालय में अपील एडमिट होते ही आरोपी मीना देवी को जमानत मिल जाएगी। लेकिन ऐसा भी कुछ नहीं हुआ।

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बताया जाता हैच्कि उच्च न्यायालय में अपील के एडमिशन के बाद भी उन्हें जमानत नही मिली। इस मामले में सबसे बड़ी बात यह रही कि घटना के एक सप्ताह बाद से ही गिरफ्तार मीना देवी इस मामले अबतक जेल में बंद रही। आत्मसमर्पण किए जाने के बाद से मामले में बरी किए जाने तक उनके पति को भी निचली अदालत सत्र न्यायालय चर उच्च न्यायालय से कोई राहत नही मिली थी। अब घटना के बाद से इतने दिनों तक जेल में बंद रहने केच्बाद उच्च न्यायालय से मीना देवी को जमानत मिलने की बात ज्यों ही परिजनों तक पहुंची तो उनमें खुशी की लहर दौड़ गई। आखिर हो भी क्यों नही । मीना देवी करीब चाल साल बाद जेल से बाहर आएंगी। इस घटना ने पूरे परिवार और परिजनों को हिला कर रख दिया था। दो वषच् के बच्चे तक को छोड़ कर मीना देवी उस वक्त जेल गई थी। वही गंडामन गांव के पीड़ितों में एक बार फिर से मायूसी छा गई है।

इनसेट

घटना की तिथि : 16 जुलाई 2013

मशरक थाना कांड संख्या - 154/13

सूचक : अखिलानंद मिश्रा (मृत छात्र आशीष के पिता)

घटना मच् मौत : 23 बच्चों की मौत व 24 बीमार

अभियुक्त : मीना देवी नामजद, पति अर्जुन राय(अप्राथमिकी)

सत्र विचारण संख्या : 811/13

आरोप गठन : 9.1.15

वाद में लगभग 40 गवाह अभियोजन की ओर से प्रस्तुत

दोषी करार : 24.8.16 मीना देवी दोषी व अर्जुन राय बरी

सजा : 29. 8. 16 मीना देवी को एडीजे दो विजय आनंद तिवारी ने सुनाई 17 वर्ष की सजा

इनसेट

मीना देवी को जमानत मिलने पर गांव में पसरा सन्नाटा

संवाद सूत्र,मशरक(सारण): प्रखंड क्षेत्र के धरमासती गंडामन नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में एमडीएच् का भोजन खाने से 23 बच्चो की मौत तथच् एक रसोइया समेत 24 बच्चों के बीमार होने के मामले मच् सोमवार को पटना उच्च न्यायालय से प्रभारी प्रधानाध्यापिका मीना देवी को जमानत मिलने के बाद गण्डामन गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। फिर एक बार कोई कुछ कहने से परहेज कर रहा है। मृतकों के घर पर आज भी सन्नाटा पसरा है। धरमासती बाजार की दुकानों पर लोग आपस में इसकी चर्चा कर रहे है।, लेकिन जब उनसे इस मसले पर रायशुमारी करने की गरज से कुछ पूछा जाता है, तो सब खामोश हो जाते हैं। लोग इस मामले में कुछ कहने से कतरा रहे है। जानकारी हो कि धरमासती गंडामन नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में 16 जुलाई 2013 को एमडीएच् का खाना खाने से 23 बच्चों की मौत हो गई थी तथाच्एक रसोईया और 24 बच्चो की स्थिति खराब हो जाने पर पटना पीएमसीएच रेफर किया गया था। जहां च्हीनों इलाज के बाद बच्चे अपने घर लौटे थे। इस मामले को ले गण्डामन गांव निवासी अखिलानंद मिश्र ने मशरक थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिस मे उक्त विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापिका मीना देवी को मुख्य अभियुक्त बनाया था।

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इस कांड के सूचक व मृतक के पिता अखिलानंद मिच ने जब सुना कि पटना उच्च न्यायालय से मीना देवी को जमानत मिल गई है तो पहले वे विश्वास नही कर रहे थे। फिर कुछ देर बाद काफी मायूस हो कर बोले कि भगवान तथा न्यायालय पर भरोसा है । हम लोगों को एक दिन जरूर न्याय मिलेगा।

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राजू साह ने कहा कि हमलोग तो बर्बाद हो गए । ऊपर वाला सब देख रहा है। न्यायालय तथा भगवान दोनों से एक दिन न्याय हम सभी को जरूर मिलेगा। यह कह कर राजू साह कांपने लगा तथा कुछ देर बाद जमीन पर बैठ अपनी तकदीर को कोसने लगे।

फोटो 3 सीपीआर 22

विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापिका मीना देवी को न्यायालय द्वारा जमानत मिलने के बाद उनके परिवार के ध्रुप प्रसाद यादव ने कहा कि न्याय मिलने में थोड़ी देर होती है।


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