मढ़ौरा गढ़ देवी मंदिर में भक्तों की उमड़ने लगी भीड़
ां गढ़देवी के मंदिर में नवरात्र को लेकर पूजा अर्चना के लिए आने वालों की संख्या काफी बढ़ गई है। देश के कई शक्ति पीठ में मढ़ौरा को भी एक माना जाता है। इस कारण दूर-दराज के श्रद्धालु भी आते हैं।
संस, मढौरा: मां गढ़देवी के मंदिर में नवरात्र को लेकर पूजा अर्चना के लिए आने वालों की संख्या काफी बढ़ गई है। देश के कई शक्ति पीठ में मढ़ौरा को भी एक माना जाता है। इस कारण दूर-दराज के श्रद्धालु भी आते हैं।
पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार राजा दक्ष के यज्ञ में महादेव के अपमान से कुपित होकर सती ने हवन कुंड में कूदकर प्राण त्याग दिया। इससे क्रोधित महादेव सती के शव को लेकर तांडव करने लगे। भू लोक पर महाप्रलय की स्थिति उत्पन्न हो गई। तब भगवान विष्णु ने सती के शव को चक्र सुदर्शन से खंड-खंड कर दिया। मान्यता है कि सती के शरीर का एक अंश मढ़ौरा में भी गिरा।
दूसरी मान्यता के अनुसार अपने अनन्य भक्त रहसू भगत की पुकार पर कामरूप से गोपालगंज के थावे जाने के क्रम में कुछ पल के लिए मढ़ौरा गढ़ पर विश्राम की थीं।
मंदिर से जुड़ी लोक आस्था:
राजा शीलनिधि की नगरी मढ़ौरा की पवित्र भूमि पर स्थित गढ़देवी मंदिर के संबंध में मान्यता है कि यहां आने वाले नि:संतान दंपती की झोली अवश्य भरती है। सच्चे मन से मांगी गई मनोकामना की पूर्ति मां गढदेवी के दरबार में होता है। यहां सालों भर प्रत्येक सोमवार एवं शुक्रवार को मेला लगता है। परंतु दशहरे के दौरान दस दिन तक इस मंदिर की भव्यता देखते बनती है। जिला मुख्यालय छपरा से सड़क और रेलमार्ग दोनों माध्यम से इस मंदिर तक आसानी से पंहुचा जा सकता है। जिला मुख्यालय छपरा से दूरी 25 किमी की दूरी पर अवस्थित है। राजधानी पटना से आने वाले सितलपुर से दरियापुर, परसा एवं अमनौर के रास्ते आसानी से माता के मंदिर तक पहुंच सकते हैं। बोले पुजारी
मुख्य पुजारी टुकाई बाबा का कहना है कि दशहरे में श्रद्धालुओं की भीड़ यहां लगी रहती है। जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से माता की दरबार में आते हैं, उनकी मनोकामना जरूर पूरा होती है। इस प्रांगण में शिव-पार्वती मंदिर, हनुमान मंदिर तथा भैरवनाथ का मंदिर दर्शनीय है।