मां कालरात्रि का वार्षिक पूजनोत्सव समारोह कल
सारण। पतित पावनी गंगा व मही नदी के तट पर अनुपम छटा बिखेरती प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच मौजूद
सारण। पतित पावनी गंगा व मही नदी के तट पर अनुपम छटा बिखेरती प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच मौजूद मां कालरात्रि का वार्षिक पूजनोत्सव सोमवार को धूमधाम से मनाए जाने को ले पूजा समिति द्वारा सारी तैयारी पूरी कर ली गई है। मां के मंदिर की सजावट व मंदिर प्रांगण मे पंडाल निर्माण सहित पूजा स्थल एवं इसके आसपास के इलाके में रौशनी के प्रबंध के साथ ही चौक-चौराहे पर ध्वनि विस्तारक यंत्र लगाए जाने से वातावरण भक्तिमय बना हुआ है।
मंदिर का लोकेशन व अतीत
छपरा-हाजीपुर सडक मार्ग पर दिघवारा- सोनपुर के बीच नयागांव के समीप डुमरी बुजुर्ग गांव मे साढे पांच सौ वर्ष पुराना मां कालरात्रि का प्राचीनतम मंदिर है। मान्यता है कि मुगल शासन में भक्तों के कष्टों को दूर करने को मां कालरात्रि यहां अवतरित हुई थी। मां कालरात्रि काल को भी अपने वश मे रख दुष्टों का संहार कर भक्तों का कल्याण करती है। नवरात्र के दौरान यहां देवी भक्तों की बड़ी भीड़ जुटती है । मन्नत पुरी होने पर मां कालरात्रि की भीमकाय प्रतिमा पर 22 मीटर की चुनरी भक्त चढ़ाते है। मां कालरात्रि की वार्षिक पूजा हर साल भादो आमावस्या की रात की जाती है। इस साल 21 अगस्त सोमवार को वार्षिक पूजा निर्धारित है। सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया है जिसमे भजन सम्राट बिक्की छाबडा मां की शान में भजनो की प्रस्तुति से उनकी खिदमत करेंगे। मां के चरणों में प्रत्येक घर में बनी दलही पुड़ी व खीर अर्पित करने की परंपरा भी प्राचीन काल से चली आ रही है। वार्षिकोत्सव पूजा को लेकर उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए विधि व्यवस्था संधारण को लेकर अनुमंडल प्रशासन द्वारा भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया जाता है ।