जयप्रकाश नारायण ने की थी लोकतंत्र की रक्षा: कुलपति
लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि शु्क्रवार को शैक्षणिक संस्थानों में मनाई गई। जेपीयू में भी कार्यक्रम हुआ।
जागरण संवाददाता, छपरा : लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि शु्क्रवार को शैक्षणिक व सामाजिक संस्थाओं में मनाई गई। जयप्रकाश विश्वविद्यालय प्रशासन ने भारत रत्न जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि पर सीनेट हाल में सभा की।
कुलपति प्रो. फारूक अली ने कहा कि जयप्रकाश नारायण ने आपातकाल के विरुद्ध संपूर्ण क्रांति के उद्घोष में लोकतंत्र की रक्षा करके देश को बचाया था। सारण की धरती रत्नगर्भा है। लोकनायक, राजेंद्र प्रसाद, चंद्रशेखर, राहुल सांकृत्यायन व भिखारी ठाकुर जैसे महारत्न पैदा हुए हैं। कुलसचिव डा. रविप्रकाश बबलू ने कहा कि हम उस भूमि पर कार्यरत हैं, जहां लोकनायक जयप्रकाश नारायण जैसे लोग पैदा हुए हैं। लोकनायक ने कभी भी किसी पद या संपत्ति के लिए लालसा नहीं रखा। उन्होंने कहा कि आज लोकनायक की पुण्यतिथि है। उनके नाम पर यह विश्वविद्यालय है। इसलिए हमें आज संकल्प लेने की जरूरत है कि विश्वविद्यालय का विकास समयबद्ध होकर करें। हमें लोकनायक के आदर्श व सपनों को अपनाकर विश्वविद्यालय के विकास के लिए सदैव तत्पर रहना है।
इसके पूर्व विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में स्थापित लोकनायक जयप्रकाश नारायण की आदमकद प्रतिमा पर प्रतिकुलपति द्वारा माल्यार्पण किया गया। मौके पर वित्त परामर्शी एके पाठक, सीसीडीसी डा.(प्रो.) हरिश्चंद्र, परीक्षा नियंत्रक डा. अनिल कुमार सिंह समेत पीजी शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारी मौजूद थे।
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जेपी के बताए मार्ग पर चलने का लिया संकल्प
जासं, छपरा: जयप्रकाश महिला महाविद्यालय में लोक नारायण जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। कालेज परिसर में लगे जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा पर शिक्षक एवं कर्मियों ने पुष्प अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उनके बताएं मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया। प्राध्यापिका डा. रेखा श्रीवास्तव, डा. अंबिका श्रीवास्तव, पूनम कुमारी, नम्रता, डा. अमरेंद्र कुमार सिंह, डा. नीतू सिंह, डा. चंदन कुमार, डा. वशिष्ट कुमार, डा. अंजलि, प्रशाखा पदाधिकारी डा. मनीषा, आलोक कुमार, अनवर हुसैन, शीला नाथ सिंह, नीलू कुमारी, ओमप्रकाश श्रीवास्तव, प्रमोद रंजन श्रीवास्तव, नीरज कुमार, सुजीत कुमार प्रभात, सुभाष चंद्र भास्कर, बाबू लाल श्यामा देवी आदि मौजूद थीं।