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बिहार के 46.5 फीसदी बच्चे नहीं दे पाते हैं अंग्रेजी की री¨डग

सरकारी स्कूलों में आधारभूत संरचना दुरुस्त करने के बाद भी शिक्षा के स्तर में कोई सुधार नहीं हो रहा है। स्थिति ऐसी है कि सरकारी स्कूलों के बच्चे मामूली गुना-भाग नहीं बना पा रहे हैं। अंग्रेजी की सामान्य पुस्तकें नहीं पढ़ पा रहे हैं। यह हालात सिर्फ बिहार नहीं देश भर में है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Dec 2018 04:05 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 03:07 AM (IST)
बिहार के 46.5 फीसदी बच्चे नहीं दे पाते हैं अंग्रेजी की री¨डग
बिहार के 46.5 फीसदी बच्चे नहीं दे पाते हैं अंग्रेजी की री¨डग

राजीव रंजन, छपरा : सरकारी स्कूलों में आधारभूत संरचना दुरुस्त करने के बाद भी शिक्षा के स्तर में कोई सुधार नहीं हो रहा है। स्थिति ऐसी है कि सरकारी स्कूलों के बच्चे मामूली गुना-भाग नहीं बना पा रहे हैं। अंग्रेजी की सामान्य पुस्तकें नहीं पढ़ पा रहे हैं। यह हालात सिर्फ बिहार नहीं देश भर में है।

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इतना ही नहीं देश के(बिहार के सारण एवं मुजफ्फरपुर जिला भी शामिल) 14 फीसदी सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राएं अपने देश का नक्शा तक नहीं पहचान पा रहे हैं। यह खुलासा असर (एनुअल स्टेटस आफ एजुकेशन रिपोर्ट) के वर्ष 2017-18 के सर्वे रिपोर्ट से हुआ है। असर ने 14 से 18 वर्ष के छात्र -छात्राओं के बीच में सेंपल सर्वे किया है। इससे शिक्षा विभाग के क्वालिटी एजुकेशन की हवा निकल गयी है।

असर (एनुअल स्टेटस आफ एजुकेशन रिपोर्ट) ने देश के 23 राज्यों के विभिन्न जिले जिसमें सूबे सारण एवं मुजफ्फरपुर जिला भी शामिल है, में सर्वे के रूप में सैंपल लिया है। इसमें जो तथ्य सामने आए हैं उसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है।

स्कूल भवन बनने, क्लास रूम, शौचालय, खेल के मैदान व महत्वाकांक्षी योजना एमडीएम से बच्चों के शिक्षा के स्तर में कोई सुधार नहीं हो रहा है। असर की रिपोर्ट से यह बात सामने आयी है। पांचवी के छात्रों का री¨डग स्किल काफी कम है। कक्षा आठ के 73.1 फीसदी बच्चे कक्षा दो के अंग्रेजी की पुस्तक नहीं पढ़ सके। इतना ही नहीं, इनमें 62.4 फीसदी बच्चे अंग्रेजी में पढ़ी बातों का मतलब नहीं समझ सके। असर रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि 14 साल के बच्चों में करीब 47 फीसदी बच्चे ऐसे हैं जो अंग्रेजी के साधारण वाक्य को भी नहीं पढ़ा सकते हैं। असर ने स्कूलों एवं घरों में जाकर ऐसे किया है सर्वे

असर ने देश के 24 राज्य के कई जिलों में जाकर अपना सर्वे किया है। इसमें असर के सदस्य के साथ एनजीओ के कार्यकर्ता भी शामिल होते हैं। वह स्कूलों में आन द स्पॉट पहुंच कर सर्वे करते हैं। वहां की स्थिति का आंकलन करने के बाद इस विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के रविवार को गांव में जाकर 30-30 परिवार से बातचीत करते है। जिसके बाद वह अपनी रिपोर्ट तैयार करते है।

क्या है एनुअल स्टेटस आफ एजुकेशन

छपरा : असर (एनुअल स्टेटस आफ एजुकेशन ) केंद्र सरकार से मान्यता प्राप्त संस्था है जो शिक्षा के मामले में सरकार की मदद करती है। इस सर्वे में सरकार के लोग भी साथ होते हैं। ये हर साल आंकड़ा जारी करता है। शिक्षा के संबंध में योजना बनाने में असर के रिपोर्ट से मदद ली जाती है। पंचवर्षीय योजना में शिक्षा के लिए योजना बनाने में इसके सर्वे रिपोर्ट की मदद ली जाती है। यह देश के सभी राज्यों में सर्वे कर अपनी रिपोर्ट पेश करती है। जिसमें डाइट के शिक्षकों के साथ ही स्टेट के शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों को भी शामिल किया जाता है।


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