रंग लाया भाई का प्रयास, विधवा बहन की मांग में सज गया सिंदूर
सारण। विधवा शब्द सुनते ही समाज के ठेकेदार मुंह बनाने लगते हैं। ऐसे ही ठेकेदारों के मुंह पर तम
सारण। विधवा शब्द सुनते ही समाज के ठेकेदार मुंह बनाने लगते हैं। ऐसे ही ठेकेदारों के मुंह पर तमाचा मारते हुए एक भाई का प्रयास रंग लाया और उसकी विधवा बहन की मांग सिंदूर से भर गई। बनियापुर के बंगाली भिट्ठी निवासी सुगाती के परिजनों ने समाज की बंदिशों को तोड़ उसे जीने का नया सहारा दे दिया। बनियापुर प्रखण्ड के धनाव का शिवमंदिर इस शादी का गवाह बना। लगभग 5 वर्षों से विधवा की जिंदगी जीने वाली सुगन्ति के जीवन में बहार आ गयी । और मंदिर से दुल्हन बन सुगांती एक बार फिर अपनी नई ससुराल विदा हुई । इस शादी की चर्चा पूरे क्षेत्र में है और लोगों ने नव दम्पति को आशीर्वाद दिया।
लड़की के भाई श्याम बहादुर प्रसाद ने बताया कि सुगान्ती की शादी बलुआ गाव के जितेंद्र महतो से हुई थी। 5 वर्ष पूर्व उसकी मौत हो गयी जिससे एक लड़का भी है। पति के मौत के बाद ससुराल वाले उसको प्रताड़ित करने लगे और उसे अपने घर बंगाली भिट्ठी भेज दिया। कुछ ग्रामीणों के साथ विचार विमर्श कर सुगान्ती की शादी की चर्चा चली तो समाज के ठेकेदारों ने उससे मुंह मोड लिया लेकिन बहन की खुशियों के लिए भाई का प्रयास रंग लाया। सहाजितपुर थाना के पिपरपती निवासी राम प्रवेश महतो के पुत्र रामजन्म महतो से शादी तय हुई। रामजन्म भी पहले से शादीशुदा है। विक्षिप्त पत्नी होने के कारण उसने सुगान्ती को अपना जीवन साथी बनाने के लिए हामी भरी तो आज बिना लगन शहनाई के ही ग्रामीण महिलाओं के मंगल गीतों से धनाव का शिवमंदिर शक्ति स्थान इस विवाह का साक्षी बना। जहां रामजन्म के रूप में सुगान्ती को अपना सुहाग मिला वहीं सुगांती ने सातों जन्म तक साथ निभाने की कसमें खायी। शादी के बाद दोनों खुश हैं। इस मौके पर श्री राम उर्फ भोग बाबा, पुस्प्वात बाबा, सहित दर्जनों लोगों ने नवदम्पति को अपना अशीर्वाद दिया।