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जागरण बागवान क्लब : ज्ञान, कर्म और इच्छा के समन्वय से ही कोई मनुष्य अपने को बना सकता है परिपूर्ण

ज्ञान, कर्म और इच्छा के समन्वय से ही कोई मनुष्य अपने को परिपूर्ण बना सकता है। कार्य के प्रति समर्पण की भावना से ही सफलता मिल सकती है। वर्तमान परिवेश में नैतिक मूल्यों का ह्रास चौतरफा बुराईयों को जन्म दे रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 Jan 2019 05:41 PM (IST)Updated: Sat, 05 Jan 2019 05:41 PM (IST)
जागरण बागवान क्लब : ज्ञान, कर्म और इच्छा के समन्वय से ही कोई मनुष्य अपने को बना सकता है परिपूर्ण
जागरण बागवान क्लब : ज्ञान, कर्म और इच्छा के समन्वय से ही कोई मनुष्य अपने को बना सकता है परिपूर्ण

जागरण संवाददाता, छपरा : ज्ञान, कर्म और इच्छा के समन्वय से ही कोई मनुष्य अपने को परिपूर्ण बना सकता है। कार्य के प्रति समर्पण की भावना से ही सफलता मिल सकती है। वर्तमान परिवेश में नैतिक मूल्यों का ह्रास चौतरफा बुराईयों को जन्म दे रही है। आज के इंटरनेट युग ने एक तरफ संभावनाओं का द्वार तो खोला है, लेकिन दूसरी तरफ कई तरह के विकृतियां भी फैलाने में अपनी भूमिका निभा रही है। ऐसे में नैतिक शिक्षा को पुन: प्राथमिक स्तर से ही बच्चों के बीच लाकर नए समाज के निर्माण में सकारात्मक भूमिका निभाई जा सकती है।

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यह बातें शनिवार को 'दैनिक जागरण' के 'जागरण बागवान क्लब' छपरा की प्रथम गोष्ठी में बिहार पेंशनर समाज से जुड़े प्रबुद्ध जनों ने कही। नगरपालिका चौक स्थित दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित गोष्ठी का संचालन ब्यूरो प्रभारी राजीव रंजन ने किया। गोष्ठी में विचार रखते हुए बिहार पेंशनर समाज के छपरा शाखा अध्यक्ष ब्रजेंद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि जागरण ने अपने अभिभावक और संरक्षक के तौर पर पेंशनरों को अपने से जोड़ने का जो प्रयास किया है वह स्वागतयोग्य कदम है। उन्होंने क्लब को अपना मंच बताते हुए कहा कि हमें समाजिक बुराइयों को फोकस कर इसे समाप्त कराने में भूमिका निभानी होगी। नई पीढ़ी को एक योग्य नागरिक बनाने में परिवार, समाज और शिक्षक के बाद हमारे परिवेश को भी उस लायक तैयार करना होगा, जहां अच्छाई और बुराई को अलग करने की क्षमता विकसित हो सके। उन्होंने अयोग्यता को बेकारी का मुख्य कारण मानते हुए कहा कि बिना काम के दाम की इच्छा रखने की प्रवृति का त्याग कर ही सफलता पाई जा सकती है।

अनुशासन का पाठ है जरूरी

समाज के उपाध्यक्ष हरिशंकर प्रसाद ने कहा कि आज के पीढ़ी में अनुशासन का पाठ जरूरी है। उनके बीच समयबद्धता का अभाव है। परिवेश के प्रभाव में हमारे बच्चे और युवा वर्ग दिग्भ्रमित हो रहे हैं। ऐसे में वह उद्दंडता, अक्रामकता और असंयमित जीवन की तरफ बढ़ रहे हैं। अगर हम मिल-जुल कर इसके लिए प्रयास करेंगे तो इसका सार्थक परिणाम सामने आएगा।

अवकाश प्राप्त शिक्षक अशोक कुमार गिरि ने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षा व्यवस्था से गुरु-शिष्य परंपरा का खत्म होना बच्चों को अनुशासित जीवन और कार्यशैली से अलग-थलग कर रहा है। शिक्षक और अभिभावकों के बीच समन्वय की कमी भी पढ़ाई को प्रभावित कर रहा है। अपने अधिकार के प्रति तो सभी सजग दिखते हैं लेकिन अपने कर्तव्यों के प्रति कोई जबावदेह नहीं होना चाहता। इसलिए नैतिक शिक्षा को प्रारंभ से ही बच्चों में देकर उन्हें योग्य नागरिक बनाया जा सकता है।

जागरण बागवान क्लब गोष्ठी में बबन ¨सह, राम नारायण ¨सह, त्रिलोकी ¨सह, रामचंद्र ¨सह, दीनानाथ ¨सह, दिनेशचंद्र गुप्ता, शिवलाल चौधरी, सत्य नारायण प्रसाद, चंद्रकांत तिवारी आदि अनेक पेंशनर अभिभावकों ने अपने सार्थक विचार रखे। मौके पर जागरण परिवार के रविशंकर शुक्ला, चंद्रभूषण ¨सह शशि, अमृतेश, भूपेंद्र कुमार ¨सह, संजय श्रीवास्तव, प्रवीण कुमार आदि भी मौजूद थे। गोष्ठी में क्लब को और धारदार और समाजोपयोगी बनाने के लिए हर माह एक साथ बैठने और आमजन की समस्याओं पर विचार-विमर्श कर उसे प्रशासन एवं सरकार तक पहुंचाने में पहल करने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही शहर की मुख्य समस्याओं और उसके समाधान का सुझाव पत्र भी तैयार करने पर विचार किया गया है। इसे प्रशासनिक स्तर पर रख कर निदान का प्रयास किया जाएगा।


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