आरती से वातावरण के साथ तन-मन होता है शुद्ध: नागा बाबा
सारण। सारण के चिरांद गांव स्थित बंगाली बाबा घाट पर 29 मई को आयोजित होने वाली गंगा महाआरती के इस वर्ष
सारण। सारण के चिरांद गांव स्थित बंगाली बाबा घाट पर 29 मई को आयोजित होने वाली गंगा महाआरती के इस वर्ष 11 साल हो जाएंगे। आरती की शुरूआत 2008 में चिरांद विकास परिषद् ने की थी और तभी से हर वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा पर इसका आयोजन होता रहा है। इसी वर्ष 29 मई को होने वाली गंगा महाआरती के पूर्व आयोजक चिरांद विकास परिषद् के संरक्षक श्री श्री 108 श्रीकृष्ण गिरि उर्फ नागा बाबा ने आरती के धार्मिक व वैज्ञानिक महात्म्य से श्रद्धालुओं को अवगत कराया।
नागा बाबा ने कहा कि किसी भी कर्म का पूर्ण फल तभी होता है जब उसे पूर्ण मनोयोग से नियमित पूर्वक किया जाय। आरती जिसे शास्त्रों में 'आरक्तिका' 'आरर्तिका' और 'निराजन' भी कहते है, उसके करने के भी नियम है। किसी भी प्रकार की पूजा यज्ञ, हवन, पंचोपचार, षोडशोंपचार, पूजा आदि के अंत में आरती की जाती है। भगवान की आरती करते वक्त हम आरती दक्षिणावर्त की तरह से शुरू करते है, यानि अनहंत चक्र से (हृदय) की तरफ से अध्न्याचक्र (मध्य भव तक) इसकी चक्र को पूरा करते हुए आरती की जाती है। आरती ईश्वर के दक्षिणावर्त तरीके से वामार्व की ओर की जाती है, इसे पहले तीन से पांच बार दक्षिणावर्त की दिशा में घुमाया जाता है, फिर एक बार वामावर्त की दिशा में घुमाया जाता है। यह दर्शाता है कि भगवान हमारी सारी गतिविधियों का केन्द्र है। यह हमें याद दिलाता है कि ईश्वर पहले है और सब बाद में। आरती सिर्फ पूजा का अंग नही है बल्कि यह हमारी संस्कृति को आगे बढ़ाने का रास्ता दिखाता हैं। गंगा महाआरती को लेकर भव्य तैयारियां चल रही हैं।