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धीरे-धीरे अब हर जुबान से निकलने लगी आवाज..पॉलीथिन को बोलो 'ना'

पॉलीथिन को बोलो 'अब ना'। इसकी जगह जूट, कपड़े व कागज के थैले को अपनाएंगे। धरती और पर्यावरण को बचाने के महाअभियान को सफल बनाएंगे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Dec 2018 10:35 PM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2018 10:35 PM (IST)
धीरे-धीरे अब हर जुबान से निकलने लगी आवाज..पॉलीथिन को बोलो 'ना'
धीरे-धीरे अब हर जुबान से निकलने लगी आवाज..पॉलीथिन को बोलो 'ना'

जागरण संवादादता, छपरा : पॉलीथिन को बोलो 'अब ना'। इसकी जगह जूट, कपड़े व कागज के थैले को अपनाएंगे। धरती और पर्यावरण को बचाने के महाअभियान को सफल बनाएंगे। इस नारे के साथ शुक्रवार को भी छपरा शहर में जागरूकता रैली निकाली गई। रैली में शामिल इंडियन रेड क्रॉस सोसायटी के सदस्य और छात्र-छात्राएं अपनी हाथों में तख्तियां लेकर आम लोगों से पॉलीथिन को 'अब ना' कहने की अपील कर रहे थे। रेड क्रॉस के रैली को होली क्रॉस स्कूल के नर्सरी क्लास के बच्चों ने झंडी दिखा कर रवाना किया। रैली के माध्यम से हर आने-जाने वाले लोगों के बीच पॉलीथिन रोकथाम की पर्चियां बांटी गई और उन्हें प्लास्टिक कैरी बैग के नुकसान के बारे में बताया गया। प्लास्टिक कैरी बैग की जगह थैले अपनाने की अपील

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रेड क्रॉस सोसायटी की जागरूकता रैली शहर के विभिन्न मार्गो से गुजरते हुए शहरवासियों, व्यापारियों, दुकानदारों, फेरीवाले, सब्जीवाले व ठेले-खोमचे वालों के बीच पॉलीथिन के इस्तेमाल से होने वाले कुप्रभाव के बारे में जानकारी दी। वहीं इस पर लगाये गये प्रतिबंध एवं इसके उल्लंघन पर जुर्माने के बारे में जानकारी दी गई। लोगों से अनुरोध किया गया कि वह पॉलीथिन कैरी बैग का इस्तेमाल बंद कर दें साथ ही अपने आस-पड़ोस में भी लोगों को इसका प्रयोग नहीं करने दें। रैली में सोसायटी के सचिव जीनत जेड मसीह, यूथ सचिव अमन कुमार के अलावा सदस्य प्रो एडी मसीह, डॉ सुरेश ¨सह, शंभु ¨सह, डॉ मदन प्रसाद, नीरज, अभिजीत पॉल, इस्माईल, अभिमन्यु, अनूप, नेहा, सोनम, बबली, रितिका आदि ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। शहरी क्षेत्र में पॉलीथिन प्रतिबंध रहेगा लागू

राज्य सरकार ने सभी शहरी एवं नगर निकाय क्षेत्रों में प्लास्टिक, इससे से जुड़े उत्पाद और पॉलीथिन के इस्तेमाल पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया है। इसके लिए बिहार म्युनिसिपैलिटी प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट बॉयलाज-2018 का प्रावधान किया गया है। नये प्रावधान के तहत में प्लास्टिक थैले और पॉलीथिन के इस्तेमाल करते पकड़े जाने पर बिहार नगरपालिका अधिनियम-2007 एवं बिहार नगरपालिका अधिनियम-2018 की धारा-422 के तहत जुर्माने का प्रावधान है। शहरी विकास एवं आवास विभाग के निर्देश पर छपरा जिला प्रशासन एवं नगर निगम इसकी रोकथाम के लिए व्यापक इंतजाम कर लिया है। जिलास्तरीय मॉनिट¨रग कमेटी का गठन

नगर विकास एवं आवास विभाग के निर्देश पर जिलास्तरीय पॉलीथिन मॉनिट¨रग कमेटी का गठन किया गया है। जिलास्तरीय प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन समिति में डीएम अध्यक्ष तथा नगर निगम आयुक्त सचिव बनाये गये हैं। निगम के मेयर, नगर पर्षद सभापति व नगर पंचायत मुख्य पार्षद, सभी कार्यपालक पदाधिकारी, पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नामित पदाधिकारी, रेड क्रॉस सोसायटी के सचिव, मानस के देवनाथ दीक्षित एवं धर्मनाथ राम को समिति का सदस्य बनाया गया है। मॉनिट¨रग कमेंटी कल से अपना काम करना शुरू कर दिया है। प्रतिबंध उल्लंघन पर जुर्माने का प्रावधान

प्रतिबंध के उल्लंघन पर 5000 रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। तीन स्तरीय जुर्माने में पहली बार पकड़े जाने पर आम आदमी के लिए 100 रुपये, दूसरी बार 200 तथा तीसरी बार 300 रुपये का जुर्माना लगेगा। लेकिन सार्वजनिक स्थल, पार्क, पुरातात्विक स्थल और अन्य प्रतिबंधित स्थलों पर इसके इस्तेमाल तथा नाला अथवा सड़क पर फेंकते पकड़े जाने पर यह जुर्माना बढ़कर 1000, 1500 और 2000 रुपया हो जाएगा। खुले में इसके उपयोग, इसके निर्माण, पैके¨जग, भंडारण अथवा प्लास्टिक सीट रखने, बेचने या बांटने पर पहली बार 2000, दूसरी बार 3000 और तीसरी बार 5000 जुर्माना लगेगा। वाणिज्यिक उपयोग व व्यवसाय पर कड़े दंड

प्लास्टिक प्रतिबंध संबंधी नये प्रावधान में इसके वाणिज्यिक उपयोग अथवा व्यवसाय पर सरकार काफी सख्ती से पेश आएगी। इसके लिए कड़े दंड के तहत पहली बार पकड़े जाने पर 15 हजार, दूसरी बार 25 हजार तथा तीसरी बार 35 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने व जुर्माना लगाये जाने के लिए राज्य, जिला व अनुमंडल स्तर पर कमेटियां कार्य करने लगी है। कमेटियों के जिम्मे इस प्रतिबंध को लागू कराने एवं उल्लंघन पर जुर्माने लगाने के साथ ही इसका व्यापक प्रचार-प्रसार कराने, जागरूकता अभियान चलाने तथा सतत निगरानी रखने का भी जिम्मा है। प्लास्टिक व पॉलीथिन के दुष्परिणाम

प्लास्टिक, इससे जुड़े उत्पाद व पॉलीथिन इस्तेमाल के व्यापक दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। धड़ल्ले से हो रहे इसके उपयोग एक ओर जहां खेती योग्य जमीन की उर्वरा शक्ति छीन रही है वहीं जलस्तर के काफी नीचे भागने से ¨सचाई की समस्या के साथ ही पेयजल संकट गहराने का खतरा बढ़ रहा है। मवेशियों के लिए भी यह एक खतरा बन कर सामने आया है। कभी-कभी चारा व दाना के साथ मवेशी पॉलीथिन को भी खा जाते हैं, जिससे उनकी अकाल मौतें हो रही हैं। इसके शिकार सबसे ज्यादा दुधारु पशु ही हो रहे हैं जो खुले में चरने के दौरान इसका सेवन कर लेते हैं। जल, जमीन और जीवन के दुश्मन पॉलीथिन को ना कहने की आदत डाल लेना ही श्रेयस्कर है।


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