जब आधार कार्ड ने मिला दिया मां-बाप से बिछड़े नौ बच्चों को, जानिए कैसे
आधार कार्ड बहुत काम की चीज है, इसने अपनी उपयोगिता को एक बार फिर साबित किया है। आज आधार कार्ड की वजह से देश के कोने-कोने से गुम हुए नौ बच्चों को उनके माता-पिता मिल गए।
सारण [जेएनएन]। देश में पहली ऐसी सुखद घटना हुई होगी, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका आधार नंबर ने निभाई होगी और एक साथ नौ बच्चों को उनके खोए माता-पिता मिले होंगे। इसमें सबसे खास बात यह है कि इन बच्चों में दो बच्चे ऐसे हैं, जिनकी दुनिया इशारों की है। उनके लिए अपना नाम, पिता और माता का नाम तथा गांव के बारे में बताना भी संभव नहीं था।
लेकिन उनके माता-पिता की सजगता ने उन्हें आखिरकार वह आंगन दिखा दिया जिन्हें उन्होंने बचपन में देखा था। सजगता यह कि उन बच्चों का आधार कार्ड उनके माता-पिता के द्वारा पहले ही बनवा दिया गया था। जब बालगृह में रहने वाले बच्चों का आधार कार्ड बनाने के लिए उनके अंगुलियों एवं आंख के रेटिना को कंप्यूटर में कैच किया गया तो यूआईडीएआई का साफ्टवेयर उसे एडजस्ट बताने लगा।
इससे साफ हो गया कि इन बच्चों का कहीं न कहीं आधार कार्ड बना हुआ है। इसको लेकर जिला बाल कल्याण इकाई ने आधार कार्ड बनाने वालों से संपर्क किया। लेकिन उन्हें जानकारी नहीं उपलब्ध कराई गई। उसके बाद इसकी जानकारी समाज कल्याण विभाग को दी गई।
करीब डेढ़ माह के अथक प्रयास के बाद बच्चों के आधार कार्ड और उनके बारे में पूरी जानकारी मिली। उसके बाद उन जिलों के बाल कल्याण समिति से संपर्क कर इन नौ खोए हुए बच्चों के माता-पिता को खोज निकाला गया। बच्चों के बारे में सूचना मिलते ही उनके अभिभावक अपने लाल से मिलने के लिए छपरा स्थित बालगृह पहुंच गए। बालगृह में अपने बच्चों को देख उनके आंसू थम नहीं रहे थे, अपने बच्चों को उन्होंने मिलते ही गले लगा लिया।
यह क्षण काफी उद्वेलित करने वाला था। क्योंकि बच्चों के गुम होने के बाद उन्हें काफी खोजा गया था। जब बच्चा नहीं मिला तो उनके माता-पिता रोते-रोते थक कर नहीं मिलने की आस छोड़ चुके थे। कन्नौज से आई कुलदीप की माता उमादेवी ने बताया कि उनका पुत्र पिछले दो वर्ष दो माह से गायब था। वह नहीं बोल सकता है और नहीं सुन सकता है।
वह घर से निकला था और गायब हो गया था। उसे खोजने का काफी प्रयास किया गया, लेकिन नहीं मिला। इसको लेकर कई दिनों तक खाना किसी ने नहीं खाया। जब वह अपने पुत्र के बारे में बता रही थी तो पुत्र के मिलने की खुशी में उनके आंखों से आंसू छलक गए। वहीं जनार्दन गुप्ता उर्फ भोला को लेने के लिए उनके पिता चंद्रदेव गुप्ता उत्तर प्रदेश के कुशीनगर से आए थे।
पुत्र के मिलने के बाद उन्होंने बताया कि उनका जनार्दन दो वर्ष पांच माह से गायब था। इसको खोजने के लिए उन्होंने दो लाख रुपये से अधिक खर्च कर दिए। उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार के अखबारों में फोटो भी छपवा दिए। लेकिन पुत्र नहीं मिला। हम लोग पूरी तरह आस छोड़ चुके थे। लेकिन आधार कार्ड होने के कारण उनका बच्चा मिल गया। बहुत खुशी हुई।
गुरुवार को शायद उन माता-पिता के लिए नया सवेरा हुआ होगा, जब उनके दो-ढाई वर्ष से खोए हुए बच्चे अचानक उनके गले से जाकर लग गए। इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका आधार का है। जिसके आधार पर छपरा बालगृह में रहने वाले बच्चों को उनके माता-पिता मिले।अपने खोए हुए बच्चों को देख उनके आंखों की आंसू अपने आप को नहीं रोक सका। उस समय किस तरह का दृश्य हुआ होगा आप समझ सकते हैं।
इन बच्चों को मिले माता-पिता
बालगृह छपरा में रहने वाले नौ बच्चों को जिला बाल कल्याण इकाई के द्वारा उनके माता-पिता को खोजकर उन्हें गुरुवार को सौंप दिया। जिसमें -
बच्चे का नाम - पिता का नाम - पता
1. रोहित कुमार - रामसभा दस्वार - इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
2. अजीत कुमार - शंकर साह - फरीदाबाद, हरियाणा
3. कारू यादव - सुरेश यादव - बांका, बिहार
4. नौशाद अली - जाकिर - कुशीनगर, उत्तर प्रदेश
5. कुलदीप - विश्वनाथ मवाई - बिलवारी, कनौज
6. आरिश - मो. रफी - किदवई नगर, नैनीताल
7. जनार्दन गुप्ता - चंद्रदेव - कुशीनगर, उत्तर प्रदेश
8. अरङ्क्षवद कुमार - नवल किशोर ठाकुर - पूर्वी चंपारण, बिहार
9. पप्पू कुमार - चंदेश्वर राय - नवादा, सारण बिहार