नमक-रोटी खाएंगे मगर अब नहीं जाएंगे वह बेकदर शहर
देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासियों को लेकर 11 विशेष ट्रेनें सोमवार को समस्तीपुर पहुंचीं। इनमें से अधिकांश ट्रेनों से प्रवासी उतरे। इसमें आनंद बिहार से दो व दिल्ली से एक ट्रेन आई। अहमदाबाद महाराष्ट्र के लोकमान्य तिलक स्टेशन के अलावा बरौनी गया व जलालपुर से भी यहां ट्रेन आई।
समस्तीपुर । देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासियों को लेकर 11 विशेष ट्रेनें सोमवार को समस्तीपुर पहुंचीं। इनमें से अधिकांश ट्रेनों से प्रवासी उतरे। इसमें आनंद बिहार से दो व दिल्ली से एक ट्रेन आई। अहमदाबाद, महाराष्ट्र के लोकमान्य तिलक स्टेशन के अलावा बरौनी, गया व जलालपुर से भी यहां ट्रेन आई। इन ट्रेनों से 2500 से अधिक प्रवासी उतरे। 07385 कर्नाटक के हुबली स्टेशन से दरभंगा जाने के लिए यहां आई। इससे 200 प्रवासी उतरे तो 50 चढ़े भी। इसके बाद लोकमान्य तिलक टर्मिनल से मुजफ्फरपुर जाने वाली आई। इससे 300 प्रवासी उतरे । इसके बाद जलालपुर से दरभंगा जाने वाली ट्रेन आई। इससे 100 प्रवासी उतरे। आनंद बिहार से पूíणया जाने वाली ट्रेन भी आई। इससे 105 प्रवासी उतरे वहीं 50 को चढ़ाया भी गया। इसके बाद 05207 नंबर की ट्रेन दिल्ली से मधुबनी के लिए जाने वाली प्लेटफार्म नंबर तीन पर पहुंची। इससे 215 प्रवासी उतरे। फिर बरौनी से समस्तीपुर के लिए विशेष ट्रेन यहां पहुंची। इससे करीब 1200 यात्री उतरे। ये सभी लॉकडाउन के कारण देश के अलग-अलग हिस्से से पैदल ही आ रहे थे। इन प्रवासियों के चेहरे पर अपने घर लौटने की खुशी साफ दिखाई दे रही थी। ऐसे प्रवासियों को उनके गृह प्रखंड तक पहुंचाने के लिए समस्तीपुर प्रशासन ने बसों की सैनिटाइज कर व्यवस्था कर रखी थी। चौकसी के बीच उतरे प्रवासी
पूरे स्टेशन परिसर की सुरक्षा व्यवस्था पहले की तरह ही चाक-चौबंद थी। आने-जाने वाले मार्ग पर पुलिसकर्मी तैनात रहे। दो ओर से प्रवासियों को बाहर निकालने की व्यवस्था की गई थी। सभी प्रवासी पहले से ही सूचीबद्ध थे। इस कारण गिनती के बाद सभी गंतव्य तक जाने के बस पर बैठे। स्टेशन पर प्रवासियों के लिए बंद पैकेट में चूड़ा, गुड़ आदि की व्यवस्था थी। वहीं रनिग थ्रू ट्रेनों में बैठे यात्रियों के लिए पानी की व्यवस्था थी। ट्रेन से पहुंचे प्रवासी हुए खुश
समस्तीपुर में स्पेशल ट्रेन से पहुंचे प्रवासियों ने बताया कि अब वो काफी खुश हैं। लॉकडाउन में उन्हें बहुत परेशानी हो रही थी, खाने-पीने के साथ-साथ रहने में भी काफी दिक्कतें हो रही थीं। ऐसे में सरकार ने देर से ही सही पर हमलोगों को अपने घर बुलाने में सराहनीय कार्य किया। नमक-रोटी खाएंगे अपने घर पर ही रहेंगे
कानपुर से पैदल ही यात्रा कर गोपालगंज के पास पहुंचे यात्री रामबुझावन ने कहा, वहां पर बहुत परेशानी थी। दिन काटना भी मुश्किल था। खाने-पीने के भी लाले थे। अब यहां आकर मैं बहुत खुश हूं। मुझे चौदह दिन क्वारंटाइन में ही क्यों न रहना पड़े। स्टेशनों पर था बसों का इंतजाम
सोमवार को भी कई ट्रेनों के आगमन की सूचना से जंक्शन परिसर पूरी तरह चौकस था। यात्रियों को सुगमतापूर्वक उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए कई बसों का इंतजाम किया गया था। हालांकि प्रवासियों की संख्या कम थी। समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर के प्रवासियों को समस्तीपुर स्टेशन पर ही उतारा गया। सभी को उनके गंतव्य तक प्रशासन द्वारा भेजा गया। घर पहुंचने की जल्दी में थी चेहरे पर रौनक
प्रवासियों के चेहरे पर घर पहुंचने की जल्दी और जिदगी जीने एक उम्मीद दिखी। इस उम्मीद को लेकर सभी के चेहरे पर रौनक स्पष्ट दिख रही थी। खिड़की पर बाहर की दुनिया को निहारते हुए कुछ भावुक भी नजर आए। वैसे अधिकांश प्रवासियों को यह पता था कि सभी को क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाएगा फिर भी वे खुश इस बात से थे कि वे अपने पंचायत नहीं तो कम से अपने प्रखंड में अपनों के बीच ही रहेंगे।