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कृषि पर जलवायु परिवर्तन का व्यापक असर

जलवायु परिवर्तन बहुत बड़ी चुनौती है। इसे देखते हुए अनुसंधान करने की आवश्यकता है जिससे कृषि को लाभकारी बनाया जा सके।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 12:36 AM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 12:36 AM (IST)
कृषि पर जलवायु परिवर्तन का व्यापक असर
कृषि पर जलवायु परिवर्तन का व्यापक असर

समस्तीपुर । जलवायु परिवर्तन बहुत बड़ी चुनौती है। इसे देखते हुए अनुसंधान करने की आवश्यकता है, जिससे कृषि को लाभकारी बनाया जा सके। ये बातें उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप सिंह ने कहीं।

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वे बुधवार डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा का भ्रमण करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने विद्यापति सभागार में वैज्ञानिकों को संबोधन भी किया। उन्होंने विश्वविद्यालय के विभिन्न क्षेत्रों के भ्रमण के उपरांत कहा कि विश्वविद्यालय बहुत ही अच्छा कार्य कर रहा। बहुत ऐसे भी कार्य हैं जो हमारे राज्य में नहीं हो रहा। उसे यहां से जाकर चालू कराना है। उन्होंने कृषि अनुसंधान की जन्मस्थली पूसा में आना खुद का सौभाग्य बताया। साथ ही, यहां के कार्यो से काफी प्रसन्नता व्यक्त की।

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खाद बनाने की प्रक्रिया से प्रभावित

मंत्री ने कहा कि सोलर प्लेट एवं उससे किए जा रह कार्य काफी प्रशंसनीय हैं। अभी तक यह उत्तर प्रदेश में पूर्णरूपेण चालू नहीं हुआ है, जिसे अविलंब चालू कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि कृषि अवशेषों से जो खाद बनाई जा रही, वह काफी उपयोगी है। इससे एक साथ सफाई अभियान के साथ-साथ इससे बनने वाली खाद खेतों के लिए सोना है। किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार प्रयत्नशील है। इसमें वैज्ञानिकों, किसान एवं सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण होनी चाहिए।

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नई तकनीक विकसित करें वैज्ञानिक

वैज्ञानिकों को जलवायु परिवर्तन को देखते हुए नई तकनीक विकसित करनी चाहिए। जिससे आनेवाले समय में खेती लाभकारी हो और किसान इसे अपना सकें। मंत्री ने विश्वविद्यालय के वाटर मैनेजमेंट, कचरा प्रबंधन, सोलर पंप सहित कई क्षेत्रों का भ्रमण किया। कहा कि उत्तर प्रदेश के किसान गन्ना के उत्पादन में अग्रणी हैं, लेकिन इसे और भी बेहतर बनाने की जरूरत है। उन्होंने किसानों को भी सलाह दी कि वैज्ञानिकों के अनुसंधान द्वारा विकसित तकनीक अपनाने की आवश्यकता है। मौके पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ रविनंदन, डॉ. गेम सिंह, डॉ. मनीष कुमार, डॉ. सोमनाथ राय चौधरी, निदेशक अनुसंधान डॉ. मिथिलेश कुमार, सूचना पदाधिकारी डॉ. कुमार राजवर्धन सहित विश्वविद्यालय के दर्जनों वैज्ञानिक एवं पदाधिकारी मौजूद थे।


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