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चापाकलों से पानी पीने पर मौखिक प्रतिबंध, विकल्प कुछ नहीं

पहले तो सिर्फ पानी में ही लोग जहर पीते थे कितु अब तो रोटियों में भी समस्तीपुर जिले के चार प्रखंडों के लोग जहर का सेवन कर रहे। गंगा तटीय प्रखंडों की लगभग तीस से अधिक पंचायतों के चापाकल व कुएं से निकलने वाले पेयजल में आर्सेनिक नामक विषैला पदार्थ मौजूद है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Dec 2019 12:32 AM (IST)Updated: Fri, 20 Dec 2019 12:32 AM (IST)
चापाकलों से पानी पीने पर मौखिक प्रतिबंध, विकल्प कुछ नहीं
चापाकलों से पानी पीने पर मौखिक प्रतिबंध, विकल्प कुछ नहीं

समस्तीपुर । पहले तो सिर्फ पानी में ही लोग जहर पीते थे, कितु अब तो रोटियों में भी समस्तीपुर जिले के चार प्रखंडों के लोग जहर का सेवन कर रहे। गंगा तटीय प्रखंडों की लगभग तीस से अधिक पंचायतों के चापाकल व कुएं से निकलने वाले पेयजल में आर्सेनिक नामक विषैला पदार्थ मौजूद है। पीएचईडी ने जांच के बाद प्रभावित चापाकलों से पानी पीने पर मौखिक प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन इसके बदले कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई। जिले के पटोरी, मोहनपुर, मोहीउद्दीननगर व विद्यापति नगर प्रखंड गंगा के किनारे अवस्थित हैं। पटोरी प्रखंड की हरपुर सैदाबाद, हेतनपुर, इनायतपुर, उत्तरी एवं दक्षिणी धमौन, मोहनपुर की कुल 11 पंचायतें, मोहीउद्दीननगर की सुल्तानपुर, पतसिया पूरब एवं पश्चिम, हरैल, चापर, महमद्दीपुर, कुरसाहा, बोचहा, करीमनगर, दुबहा आदि पंचायत आर्सेनिक प्रभावित है। सरकार ने इस क्षेत्र से लगातार मिल रही जलजनित रोगों की शिकायतों के बाद पेयजल की जांच कराई, तो पाया कि इस क्षेत्र में आर्सेनिक नामक हानिकारक रसायन मौजूद है। विभाग ने लगभग छह वर्ष पूर्व ऐसे चापाकलों को लाल रंग से चिह्नित कर पानी पीने पर रोक लगा दिया। छह वर्ष बीत जाने के बावजूद इन क्षेत्रों के लोगों के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं की गई। राज्य सरकार के तत्कालीन मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने काफी पहले पटोरी में स्टेडियम के शिलान्यास के वक्त 102 करोड़ रुपये की लागत से मेगा वाटर प्लांट लगाकर गंगा के फिल्टर्ड वाटर को सप्लाई करने की घोषणा की थी। लेकिन, यह घोषणा तक सीमित रहा।

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दर्दनाक है आर्सेनिक प्रभावितों की स्थिति

आर्सेनिक से होनेवाले रोगों का सर्वाधिक कहर मोहीउद्दीननगर प्रखंड की करीमनगर पंचायत के पीरगंज एवं दुबहा पंचायत के मोहना गांवों पर देखा जा रहा। पीरगंज की गीता देवी फ्लोटिव डर्मेटाइटिस से पीड़ित हैं। आर्सेनिक के कारण इनके सिर एवं चेहरे पर गहरे जख्म जैसे दाग नजर आते हैं। राजेश साह की पत्नी गीता साह की त्वचा पर काले निशान पड़ गए हैं। साथ ही, कई स्थानों पर त्वचा मोटी हो गई है। पीरगंज के रामकुमार राय, हरदासपुर की सरोज देवी, हेतनपुर की मनीता देवी, डुमरी की संगीता देवी, रसलपुर के मेधन सहनी आदि पेयजल के कारण होनेवाले इस रोग से निजात चाहते हैं। मोहनपुर के पूर्व प्रखंड प्रमुख कमलेश राय की पत्नी की मौत भी आर्सेनिकोसिस से हो चुकी है। उनके आसपास के लोग भी आर्सेनिक का कहर झेल रहे हैं। इन प्रखंडों में लोगों ने कई बार सरकार के मंत्रियों से लिखित शिकायत कर समस्या के समाधान की ओर ध्यान आकृष्ट किया। बावजूद इसके आज तक कुछ नहीं हुआ।

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वर्जन

इस गंभीर समस्या को सरकार और विभागीय मंत्री तक पहुंचाया गया है। सरकार द्वारा शीघ्र इन प्रखंडों में शुद्ध पेयजल के लिए मेगावाटर सप्लाई परियोजना शुरू की जाएगी।

-राणा गंगेश्वर सिंह, विधायक, मोहीउद्दीननगर


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