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आठ पंजीकृत अस्पतालों में मरीजों का इलाज शून्य

आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत स्वास्थ्य प्रशासन की बेरुखी की वजह से इसका लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। सरकारी अस्पतालों में समुचित सुविधा नहीं रहने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Sep 2019 01:28 AM (IST)Updated: Tue, 17 Sep 2019 01:28 AM (IST)
आठ पंजीकृत अस्पतालों में मरीजों का इलाज शून्य
आठ पंजीकृत अस्पतालों में मरीजों का इलाज शून्य

समस्तीपुर । आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत स्वास्थ्य प्रशासन की बेरुखी की वजह से इसका लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। सरकारी अस्पतालों में समुचित सुविधा नहीं रहने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। इसका खुलासा तो स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट से ही हो रहा है। जिले में गोल्डेन कार्ड से इलाज के लिए 20 सरकारी अस्पतालों का पंजीकरण किया गया है। पिछले एक सप्ताह के रिपोर्ट में आठ स्वास्थ्य संस्थानों में मरीजों की चिकित्सा की स्थिति शून्य है। जबकि, जिले में अब तक 3804 मरीजों का ही योजना के तहत ऑपरेशन किया गया है।

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निजी अस्पताल कम पैकेज के कारण इस योजना में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। योजना के तहत जिले में अभी तक 12 प्राइवेट अस्पतालों ने ही अप्लाई किया है। जिसमें से मात्र तीन को पंजीकृत किया गया। जबकि, अन्य अस्पतालों की रुचि इसके प्रति कम है। विभागीय स्तर पर भी प्राइवेट अस्पतालों का पंजीकरण करने में अधिक दिलचस्पी नहीं दिख रही है। स्वास्थ्य महकमा ने जिले के 20 सरकारी अस्पतालों को योजना में शामिल किया है। लेकिन सरकारी अस्पतालों में मरीजों का समुचित चिकित्सा नहीं होने की वजह से अधिकतर मरीज मजबूरी में पड़ोसी जिलों में अपना इलाज कराने के लिए जा रहे हैं।

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938 मरीजों ने पड़ोसी जिलों में कराया इलाज

गोल्डेन कार्ड बनने के बाद से ही मरीजों ने इस योजना के तहत मिलने वाली सुविधा का लाभ उठाना शुरू कर दिया। जिले में 20 सरकारी अस्पतालों का ही पंजीकरण किया गया है, उसमें सदर अस्पताल और अनुमंडलीय अस्पताल रोसड़ा में कुछ सुविधा है। जिले के 938 मरीजों ने यहां बेहतर सुविधा नहीं रहने के कारण पड़ोसी जिले में जाकर अपना इलाज कराया है। जबकि अब तक जिले में मात्र 3804 लोगों ने आयुष्मान भारत योजना के तहत अपना इलाज कराया है। जिसमें समस्तीपुर के 238 मरीजों ने पटना, 202 ने बेगूसराय, 147 ने वैशाली, 142 ने सारण, 88 ने दरभंगा, 78 ने मुजफ्फरपुर, 32 ने मधुबनी, सात ने खगड़िया, दो ने भागलपुर और एक-एक ने किशनगंज व पूर्वी चंपारण में अपना इलाज इस योजना के तहत कराया है।

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आठ अस्पतालों में मरीजों का इलाज शून्य

जिले में पिछले एक सप्ताह के अंदर योजना के तहत मरीजों के इलाज की स्थिति कम रही। के सदर अस्पताल में 46, अनुमंडलीय अस्पताल दलसिंहसराय में 31, पटोरी में 10, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सिघिया में 23, मोहिउद्दीनगर में 21, रेफरल अस्पताल ताजपुर में 13, विद्यापतिनगर में 11, मोरवा में आठ, सरायरंजन में आठ, विभूतिपुर में छह, वारिसनगर में चार, उजियारपुर में तीन का इलाज किया जा सका। अनुमंडलीय अस्पताल रोसड़ा, पूसा, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिथान, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हसनपुर, कल्याणपुर, खानपुर, शिवाजीनगर, ताजपुर में शून्य का इलाज किया गया।

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कार्ड बनाने में लाभुकों को हो रही परेशानी

सबसे बड़े हेल्थ केयर से संबोधित आयुष्मान भारत योजना को लागू करने में कई चुनौतियां हैं। इसको लागू करने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग अपनी कार्यशैली में बदलाव लाकर इसमें तेजी नहीं ला सकी है। सबसे बड़ी समस्या लाभुकों के गोल्डेन कार्ड बनाने में आ रही है। जिले में अब तक लगभग 60 हजार परिवारों का ही गोल्डेन कार्ड बन सका है। कार्ड के लिए निर्धारित सेंट्रलाइज पोर्टल काफी धीमी गति से काम कर रहा है। सदर अस्पताल के अलावा सभी स्वास्थ्य संस्थानों में सहायता केंद्र बनाया गया है। वहां एक आरोग्य मित्र हैं। तत्काल सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक-एक डाटा ऑपरेटर को आरोग्य मित्र का दर्जा दिया गया है।


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