चुनौतीपूर्ण रहा समय, कोरोना योद्धाओं के नाम रहा यह वर्ष
वर्ष 2020 के खत्म होने में अब महज कुछ ही दिन बचे हुए हैं। यह साल कोविड-19 संक्रमण के चलते इतिहास में अपनी पहचान बनाने जा रहा है। कई दशकों बाद ऐसी महामारी ने दुनिया को चपेट में लिया।
समस्तीपुर । वर्ष 2020 के खत्म होने में अब महज कुछ ही दिन बचे हुए हैं। यह साल कोविड-19 संक्रमण के चलते इतिहास में अपनी पहचान बनाने जा रहा है। कई दशकों बाद ऐसी महामारी ने दुनिया को चपेट में लिया। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी अधिक बढ़ गई। जो विभाग के लिए भी बेहद चुनौतीपूर्ण रहा लेकिन, स्वास्थ्य कर्मियों के जज्बे को सभी ने सलाम किया। पूरा वर्ष स्वास्थ्य विभाग के कोरोना योद्धाओं के नाम रहा। यह कोरोना काल स्वास्थ्य विभाग को बड़ी सीख भी देकर गया है। जिसके बाद कुछ हद तक स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारा गया है। फिर स्वास्थ्य संस्थानों में इलाज शुरू कराया गया। सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड, डिजिटल एक्सरे यूनिट की भी सौगात मिल गई है। साफ-सफाई के कारण डेंगू और चिकनगुनिया का नहीं फैला कहर
इस वर्ष विभाग में कई बदलाव देखने को जरूर मिले लेकिन, अभी कई स्तर पर सुधार होने की आवश्यकता है। विशेषकर, ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर चिकित्सा देना इसमें शामिल होना है। हालांकि, इस वर्ष कोरोना काल में साफ-सफाई को लेकर लोग जागरूक हुए। यही कारण रहा कि डेंगू और चिकनगुनिया जैसी गंभीर बीमारी का असर जिले में अधिक देखने को नहीं मिला है। इस वर्ष संचारी रोग नियंत्रण अभियान काफी हद तक सफल रहा। कोरोना काल में इस अभियान के अंतर्गत डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया के साथ-साथ कोरोना की रोकथाम करने के लिए भी लोगों को जागरूक किया गया।
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कोरोना पर नियंत्रण पाने के दौरान सीएस की गई जान
कोरोना की रोकथाम के लिए क्विक एक्शन टीम का गठन किया गया। इस टीम को जहां कोरोना के संदिग्ध मरीज की सूचना मिलती, वह तत्काल वहां पहुंचकर मरीज की जांच करती रही। डोर-टू-डोर अभियान चलाकर कोरोना का सर्वे कराया गया। जिसमें चिकित्सकों की टीमों ने लोगों के घर-घर जाकर लोगों के स्वास्थ्य की जांच समेत उनका डाटा एकत्र किया। कोरोना पर नियंत्रण पाने के लिए तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. रति रमण झा ने शुरू से ही कड़ी निगाह बनाए रखी। इसी बीच वह खुद भी संक्रमित हो गए थे। जिसके बाद इलाज के क्रम में उनकी मौत हो गई। फिर वहीं इस वर्ष भी विशेषज्ञ चिकित्सकों की किल्लत रही।
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कोरोना वैक्सीन की उम्मीद
कोरोना वैक्सीन आने की भी आस लगाई जा रही है। इसलिए सरकार के आदेश के बाद जिले की सभी कोल्ड चेन को दुरुस्त करा दिया गया है। प्रशासनिक स्तर से स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना की वैक्सीन लगाने का प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है।
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आइसीयू, सीटी स्कैन की नहीं मिल रही सुविधा
आम आदमी की चिकित्सा के लिए जिला अस्पताल है। यहां बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलने की उम्मीद रहती। इसे ध्यान में रखकर सदर अस्पताल में मरीजों को कई तरह की सुविधाएं मिलनी शुरू हो गई हैं। हालांकि, मरीजों को आइसीयू, सीटी स्कैन की सुविधा नहीं मिल रही। इस वजह से गंभीर मरीजों को मजबूरी में प्राइवेट सेंटर की ओर रुख करना पड़ रहा। वहीं, आइसीयू की सेवा शुरू नहीं होने की वजह से गंभीर मरीजों को प्राथमिक उपचार के उपरांत रेफर कर दिया जाता। अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों की पदस्थापना के साथ ही आइसीयू के समुचित संचालन की आस पूरी नहीं हो पा रही। जबकि, विभिन्न प्रखंडों में निर्मित सीएचसी में भी सुविधाओं का समुचित विस्तार नहीं हो पाया है। जननी बाल सुरक्षा योजना, सुरक्षित प्रसव, टीकाकरण सहित अन्य कार्यक्रमों के विस्तार के साथ इसकी सफलता को लेकर विभाग अग्रसर तो हुआ है, लेकिन अपने क्षेत्र में समुचित स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाने का मलाल है।
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सदर अस्पताल में आग से बचाव को पुख्ता इंतजाम
सदर अस्पताल के इंडोर वार्ड में प्रवेश को लेकर व्यवस्था में बदलाव किया गया है। लक्ष्य योजना के तहत सौंदर्यीकरण के काम से अस्पताल की तस्वीर बदल गई है। सदर अस्पताल में मरीजों को महानगरों के निजी अस्पताल की तरह सुविधा मिलनी शुरू हो गई है। आग से बचाव व परिसर से आसानी से निकलने को लेकर फर्श पर मार्किंग की गई है। ऐसे में बोर्ड पर अंकित रंग के अनुसार संबंधित वार्ड में पहुंचने के लिए फर्श पर लाइनिग की गई। इसमें आग लगने के दौरान परिसर से निकलने वालों रास्तों को चिह्नित कर दिया गया है।
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मरीजों की शिकायत व सुझाव को लगी पोटली
सदर अस्पताल में आनेवाले मरीजों की शिकायत और सुझाव को जानने के लिए शिकायत पेटी लगाई गई है। शिकायत पेटी में सदर अस्पताल में मिलने वाली सुविधा से संबंधित समस्याओं को डाला जा सकता। फिलहाल, सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड, ओपीडी, इंडोर वार्ड में यह व्यवस्था लागू की गई है। मरीजों को हर संभव बेहतर चिकित्सा सुविधा देने की कवायद तेज कर दी गई है। जिले के सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में मरीजों को पहले से अधिक सुविधा मिल रही है। आने वाले समय में वरिष्ठ नागरिकों को जेरियाट्रिक वार्ड, मातृ-शिशु अस्पताल, पाइपलाइन से ऑक्सीजन, सिटी स्कैन की भी सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी। जिले में अवैध रूप से संचालित अल्ट्रासाउंड केंद्र, नर्सिंग होम और पैथोलॉजी जांच केंद्रों पर भी शिकंजा कसा जा रहा। गैर मानक स्तर पर संचालित केंद्रों को हर हाल में बंद करा दिया जाएगा।
डॉ. सत्येंद्र कुमार गुप्ता
सिविल सर्जन, समस्तीपुर।