मेडिकल कॉलेज निर्माण की योजना अब तक अधूरी
जिले में वर्ष 2014 के मई माह से मेडिकल कॉलेज निर्माण की कागजी कवायद शुरू हो गई थी।
समस्तीपुर । जिले में वर्ष 2014 के मई माह से मेडिकल कॉलेज निर्माण की कागजी कवायद शुरू हो गई थी। केंद्र प्रायोजित योजना अंतर्गत 12 वीं पंचवर्षीय योजना अवधि में इस जिले को चिकित्सा महाविद्यालय के लिए चुना गया था। पहली बार 20 मई 2014 को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव की पटना में हुई बैठक में इस बात के लिए सिविल सर्जन को निर्देशित किया गया। इस बीच सरकार के उपसचिव ने भी जिलाधिकारी को पत्र लिखकर जिला मुख्यालय से दस किलोमीटर की परिधि में 20 एकड़ जमीन का चयन करने को कहा। लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में लोगों के स्वास्थ्य सेवा की यह योजना चार साल में महज चार कोस ही चल पायी। पहल दरियापुर पतैली, फिर भगवानपुर कमला उसके बाद भेजा गया रूपौली बुजुर्ग का प्रस्ताव मेडिकल कॉलेज निर्माण की दिशा में सबसे पहला प्रस्ताव तात्कालीन विधायक दुर्गा प्रसाद ¨सह के पीत पत्र के आधार पर मौजा दरियापुर पतैली थाना नंबर 228-2 की सरकारी भूमि का प्रस्ताव तैयार कर भेजा गया। लेकिन उस प्रस्ताव को प्रमंडलीय आयुक्त द्वारा ही 13 नवंबर 14 को खारिज करते हुए लौटा दिया गया। इसके बाद मौजा भगवानपुर कमला तथा सरायरंजन अंचल के मौजा रूपौली स्थित भूमि का प्रस्ताव तैयार हुआ। निचले स्तर से लेकर भूमि के सत्यापन के बाद जिलाधिकारी ने आयुक्त को रूपौली बुजुर्ग के खाता संख्या 605, खेसरा नंबर 3744 की अस्सी एकड़ भूमि मेडिकल कॉलेज स्थापना के लिए स्वास्थ्य विभाग पटना को स्थायी नि:शुल्क अंतर्विभागीय हस्तांतरण का प्रस्ताव भेजते हुए इसे राज्य सरकार को भेजने की अनुशंसा आयुक्त से की गई। हालांकि आयुक्त की टिप्पणी के बाद जमीन का रकवा 25 एकड़ करते हुए फिर से इस प्रस्ताव को 11 मई 15 को आयुक्त के यहां भेज दिया गया।
राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना के लिए जिला प्रशासन द्वारा भेजी गई रूपौली बुजुर्ग की उक्त भूमि के चयन पर पर्यावरण एवं वन विभाग ने इस भूमि के हस्तांतरण पर आपत्ति जतायी गई। इस कारण सरकार के विशेष सचिव ने इस प्रस्ताव को 8 जून 17 को जिलाधिकारी को लौटा दिया और वैकल्पिक भूमि की तलाश करने का निर्देश दिया गया।
वैकल्पिक भूमि की तलाश में तात्कालीन जिलाधिकारी ने जितवारपुर हाउ¨सग बोर्ड की जमीन को उपयुक्त बताते हुए अंतर्विभागीय हस्तारंतरण के लिए बिहार राज्य आवास बोर्ड पटना को एक पत्र भेजा। इस अनुरोध पत्र के जवाब में आवास बोर्ड ने अपने पत्रांक 6084 के माध्यम से सूचित किया कि उक्त भूमि पर राज्य आवास बोर्ड द्वारा 1712.24 करोड़ की लागत से कुल 3276 फ्लैट के निर्माण की योजना का अनुमोदन 28 मई 14 को ही हो चुका है। ऐसी परिस्थिति में मेडिकल कॉलेज का निर्माण यहां संभव नहीं है। इसी बीच विभागीय मंत्री ने जितवारपुर में सार्वजनिक रूप से इस बात की घोषणा कर दी कि उक्त जमीन पर ही मेडिकल कॉलेज का निर्माण होगा। इस घोषणा को आधार मानते ह ए जिलाधिकारी ने 28 मार्च 17 को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर इस जमीन को उपयुक्त मानते हुए इसके हस्तांतरण की बात कही। पर हाउ¨सग बोर्ड की खाली जमीन की कीमत छिआनवे करोड़ चौसठ लाख रुपये आंकी गई।
नगर विकास एवं आवास विभाग के अपर सचिव ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को 20 दिसंबर 2017 को पत्र लिखकर इस बात की ताकीद की किबोर्ड की 255 वीं बैठक में लिये गए निर्णय के आलोक में मेडिकल कॉलेज निर्माण को लेकर हाउ¨सग बोर्ड के प्रस्तावित 24.6 एकड़ जमीन के एवज में 96.64 करोड़ को उस समय तक जमा नहीं किये जाने को लेकर ताकीद भी की थी। इसके लिए फिर से रिमाइंडर भी भेजा गया, पर राशि जमा नहीं होने से मामला अधर में लटक गया। जब केंद्र ने कारण पूछा तो आनन-फानन में भेजा गया नरघोघी का प्रस्ताव चार साल होने तक जब राज्य सरकार द्वारा समस्तीपुर मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन का निर्धारण कर नहीं भेजा गया तो केंद्र सरकार ने जवाब मांगा कि क्या सरकार को मेडिकल कॉलेज की जरूरत नहीं है।