विकेंद्रित अर्थव्यवस्था से आर्थिक समृद्धि का मार्ग सुलभ
विकेंद्रित अर्थव्यवस्था आíथक रूप से पिछडे़ देश की जनता का जीवन स्तर उठाने और राज्य की आíथक समृद्धि बढ़ाने के लिए नया स्वरूप है। जो पांच मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित है। उक्त बातें आनंदमार्ग के वरिष्ठ केंद्रीय प्रशिक्षक आचार्य नभातीतानंद अवधूत ने कहीं।
समस्तीपुर । विकेंद्रित अर्थव्यवस्था आíथक रूप से पिछडे़ देश की जनता का जीवन स्तर उठाने और राज्य की आíथक समृद्धि बढ़ाने के लिए नया स्वरूप है। जो पांच मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित है। उक्त बातें आनंदमार्ग के वरिष्ठ केंद्रीय प्रशिक्षक आचार्य नभातीतानंद अवधूत ने कहीं। वे शनिवार को स्थानीय आनंदमार्ग जागृति इंदिरा रेलवे स्टेडियम में आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दुनिया के अधिकांश पूंजीवादी और साम्यवादी देश केंद्रित अर्थव्यवस्था को अपनाए हुए हैं। जहां अर्थव्यवस्था का संचालन पूंजीपतियों, संस्थानों तथा एक ही पार्टी के पास केंद्रित होता है। फिर भी देश की जनता का जीवन स्तर उपर नही उठा पाता है। आíथक शोषण जब तक बंद नही होगा, तब तक आम आदमी की आíथक समस्याओं का कभी हल नहीं किया जा सकता। विकेंद्रीकरण अर्थव्यवस्था जनता की इस दुर्दशा को कम करने का एक मात्र उपाय है। इसके लागू करने पर आíथक समृद्धि की गारंटी दी जा सकती है। लोगों की मानसिक और आत्मिक प्रगति का रास्ता साफ होगा और लोगों की भौतिक समस्याओं का समाधान हो पाएगा। आíथक और मानसिक शोषण खत्म होंगे। अमीर-गरीब के बीच की दूरी कम होगी। इससे पूर्व बच्चों को व्यवहारिक योग का प्रशिक्षण दिया गया। श्रद्धालुओं ने सामूहिक प्रभात संगीत, बाबा नाम केवलम का संकीर्तन, ध्यान, स्वाध्याय किया। मौके पर सेक्टोरियल सचिव आचार्य प्रणवेशानंद अवधूत समेत काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।