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श्रद्धा और भक्ति का पावन केंद है चंदौली का बाबा सत्यभूषणनाथ महादेव

समस्तीपुर। उजियारपुर प्रखंड के चंदौली गांव स्थित बाबा सत्य भूषण नाथ ठूठा महादेव क्षेत्र के लोगों के लिए श्रद्धा और भक्ति का पावन केंद्र बनकर प्रसिद्ध है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 11:54 PM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 11:54 PM (IST)
श्रद्धा और भक्ति का पावन केंद है चंदौली का बाबा सत्यभूषणनाथ महादेव
श्रद्धा और भक्ति का पावन केंद है चंदौली का बाबा सत्यभूषणनाथ महादेव

समस्तीपुर। उजियारपुर प्रखंड के चंदौली गांव स्थित बाबा सत्य भूषण नाथ ठूठा महादेव क्षेत्र के लोगों के लिए श्रद्धा और भक्ति का पावन केंद्र बनकर प्रसिद्ध है। यहां के लोगों का यह अटूट विश्वास है कि भगवान शंकर की कृपा ²ष्टि लोगों पर हमेशा बनी रहती है। जिससे लोग सुख-शांति की छाया पाते रहते हैं। मंदिर का इतिहास

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यह शिव मंदिर अतिप्राचीन होने के कारण इसके स्थापना का सही समय किसी को ज्ञात नहीं है। प्रचलित मान्यता के अनुसार मंदिर परिसर से लेकर चारों ओर घनघोर जंगल था। जहां लोग जाने से डरते थे। एक समय की बात है कि गांव में डाका डालने के लिए डाकू इसी जंगल से गुजरते हुए जा रहे थे। डाकुओं ने बाबा से अपने प्रयोजन में सफलता की मन्नत मांगी। परंतु डाकू को बाबा का आशीर्वाद प्राप्त नहीं हुआ। गांव वालों ने डाकुओं को डाका डालने के क्रम में खदेड़ दिया। सभी इसी जंगल में छुप गए। डाकू गुस्से में आकर शिवलिग को तोड़कर दो टुकड़ा कर दिया। इसके बाद डाकू पास के चौर से जा रहे थे। इसी दौरान एक सर्प ने बारी-बारी से पांच डाकूओं को डस लिया और डाकू वहीं ढ़ेर हो गए। दूसरे दिन गांव वालों ने इस चौर में डाकुओं के शव को देखा। पास में सर्प भी बैठा था। तभी से इस मंदिर में स्थित शिवलिग का नाम ठूठा महादेव पड़ गया और पास के चौर का नाम संपहा पड़ा जो अबतक प्रचलित है। मंदिर की विशेषता

यहां श्रदालुओं का मनोरथ सफल हो जाता है। जिसके कारण सालों भर शिवभक्तों का आना- जाना लगा रहता है। श्रावण मास में यहां लोग गंगाजल लेकर बाबा का जलाभिषेक करते हैं। प्रतिमाह अष्टयाम और रामायण गोष्ठी होता रहता है। वर्तमान में कोरोना महामारी के कारण लोगों का आवागमन बंद है। फिर भी इक्के-दुक्के श्रद्धालुओं का आगमन होता ही रहता है। लोग दूर से ही बाबा को शीष नवाकर अपनी मन्नते मांगते रहते हैं। कहते हैं पुजारी भगवान शिव बहुत ही दयावान और कृपालु हैं। इनकी आराधना कई प्रकार के सुफल को बढ़ा देता है। श्रावण मास में जलाभिषेक का विधान है। भगवान शिव सहज ही प्रसन्न हो जाते हैं। लोग यदि निष्कपट भाव से जो भी मन में इच्छा करता है, भगवान उनकी मनोकामना को पूरा कर देते हैं। भक्तों को जनकल्याण के निहित अपनी आस्था व्यक्त करते हुए शिव आराधना करना चाहिए। जिससे सभी का हृदय प्रेम, सादगी, सत्य, शील और सदाचार से पूरित हो सकेगा।

प्रमोद भारती, पुजारी


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